राज्यभर में शालाओं और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण  शिक्षा की गुणवत्ता और समानता की ओर एक ठोस कदम

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ग्रामीण-शहरी असंतुलन होगा दूर, शिक्षा मिलेगी हर छात्र को समान रूप से

जे.के. मिश्र
जिला ब्यूरो चीफ, नवभारत टाइम्स 24×7in, बिलासपुर

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को सशक्त, समावेशी और संतुलित बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने शिक्षकों और शालाओं के युक्तियुक्तकरण की पहल की है। यह कदम न केवल शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में है, बल्कि इससे ग्रामीण और दूरस्थ अंचलों में शिक्षा का उजियारा भी पहुँचेगा।

शहरी-ग्रामीण असंतुलन को मिलेगी दिशा
राज्य में नगरीय क्षेत्रों में जहाँ छात्र संख्या की तुलना में अधिक शिक्षक पदस्थ हैं, वहीं ग्रामीण एवं दूरस्थ अंचलों की शालाएं शिक्षकों की कमी से जूझ रही हैं। इससे न केवल पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है, बल्कि विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम भी गिर रहे हैं।

युक्तियुक्तकरण से मिलेगा समाधान
इसी असंतुलन को दूर करने के लिए सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण की नीति लागू की गई है, जिसके तहत अतिशेष शिक्षकों का पुनः समायोजन कर उन्हें शिक्षकविहीन और एकल शिक्षकीय विद्यालयों में पदस्थ किया जा रहा है।

बिलासपुर जिले की स्थिति और सुधार
बिलासपुर जिले में

04 प्राथमिक शालाएं शिक्षकविहीन थीं और

126 शालाएं एकल शिक्षकीय थीं।

अब युक्तियुक्तकरण के तहत आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों जैसे खपराखेल, कुसुमखेड़ा, सबरियाडेरा, लोहर्सी आदि गाँवों की शिक्षकविहीन शालाओं में 2-2 शिक्षक पदस्थ किए गए हैं।

पूर्व माध्यमिक शालाओं जैसे चितवार (तखतपुर), जैतपुर (मस्तूरी), तरवा व नगोई (कोटा) में अब 3-3 शिक्षक पदस्थ किए गए हैं।
शासकीय हाईस्कूल कुकुदा, सैदा एवं कुकुर्दीकला जैसी शालाओं में क्रमशः 5, 4 और 3 शिक्षक तैनात किए गए हैं।

शहर की शालाओं में संतुलन
पूर्व माध्यमिक शाला तारबहार (बिल्हा) में जहां मात्र 142 छात्र थे, वहाँ 11 शिक्षक पदस्थ थे। इन अतिशेष शिक्षकों को आवश्यकता अनुसार अन्य विद्यालयों में समायोजित किया गया है।

प्रदेशव्यापी आंकड़े

राज्य में 212 प्राथमिक और 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं शिक्षकविहीन हैं।

6,872 प्राथमिक व 255 पूर्व माध्यमिक शालाएं एकल शिक्षकीय हैं।

7,296 प्राथमिक और 5,536 पूर्व माध्यमिक शिक्षकों की आवश्यकता है।

3,608 प्राथमिक व 1,762 पूर्व माध्यमिक शिक्षक अतिशेष हैं।

जिलेवार यथार्थ उदाहरण

दुर्ग जिले के मुरमुदा हाईस्कूल में 63 छात्र पर 3 शिक्षक, परिणाम 47.62%।

भिलाई में केम्प-1 स्कूल में 225 छात्रों पर 17 शिक्षक।

राजनांदगांव के घोटिया विद्यालय में स्वीकृत 11 में केवल 3 व्याख्याता।

कोरबा में 14 प्राथमिक व 4 माध्यमिक शालाएं शिक्षकविहीन थीं, जिन्हें अब शिक्षक मिल रहे हैं।

क्लस्टर मॉडल से बुनियादी ढाँचे को मजबूती
एक ही परिसर में स्थित शालाओं का समायोजन कर क्लस्टर मॉडल तैयार किया जा रहा है, जिससे आधारभूत सुविधाएं जैसे बिल्डिंग, लैब, लाइब्रेरी, शौचालय आदि का बेहतर उपयोग हो सकेगा।

गुणवत्ता और निरंतरता की गारंटी
युक्तियुक्तकरण से

बच्चों को तीन बार प्रवेश प्रक्रिया से मुक्ति,

ड्रॉपआउट दर में कमी,

बेहतर पठन-पाठन वातावरण,

और विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।

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Author: Deepak Mittal

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