
निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली
मुंगेली- सरगांव क्षेत्र के आसपास कई बड़ी बड़ी फैक्ट्रियां खुल जाने के कारण क्षेत्र में प्रदूषण के स्तर बड़ी तेजी से बढ़ते देखे जा रहे है। हालात ऐसे हैं कि शाम होते ही घर आंगन और छत की सफाई करने के बाद सुबह उठने पर सभी जगह काली डस्ट की परत जम जा रही है जो देखने मे बहुत भयावह है जिसका सबसे ज्यादा गंभीर परिणाम जल संसाधन तथा जलीय जीवों पर पड़ता जा रहा है नगर तथा आसपास के क्षेत्र में स्थित नदी तालाब में जल के ऊपर प्रदूषण सामग्री का एक आवरण बन जा रहा जो क्षेत्र के लिए विकराल समस्या बन सकता है।
क्षेत्र ग्रामीण है जिनके जल निस्तारी का सिर्फ एक ही साधन क्षेत्र में बहने वाली मात्र नदी तेसूआ मनियारी है बारिश के कारण जल बहाव के कारण प्रदूषण का स्तर जल पर नहीं दिख रहा था परंतु जैसे-जैसे बारिश खत्म हुआ पानी एकत्रित हुई बहाव खत्म हुआ दिखने लगा स्थिर जल स्रोतों में कई का जल तो ना तो निस्तरी,नहाने लायक और नहीं पशुओं के उपयोग करने लायक बचा है .


इसके बावजूद के ग्रामीण क्षेत्र के ग्रामीण प्रदूषित जल का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं अगर प्रशासन जल्द ध्यान नहीं दिया तो बीमारियों के रूप में इसका असर क्षेत्रीय लोगों पर दिखने लगेगा आसपास के स्वास्थ्य केंद्रों में अगर नजर डाली जाए तो कुछ माह से टाइफाइड तथा पेट संबंधित रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी देखी जा रही है जो इस बात को प्रमाणित करता है।

“कुछ माह से क्षेत्र में टाइफाइड के साथ-साथ पेट से संबंधित बीमारियों से ग्रसित लोगों की संख्या में बड़ी बढ़ोतरी देखी जा रही है और इन बीमारियों का संबंध सीधा प्रदूषित जल से है।”
— डॉक्टर जयंत टोप्पो
वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी सरगांव
प्रदूषण का असर फसलों पर भी
विगत कुछ सालों से इस वर्ष सीजनल फसलों पर भी कई प्रकार की बीमारियों का प्रकोप रहा विषय में जब कृषि विस्तार अधिकारी विनोद साहू से बात की गई तो उन्होंने बताया की प्रदूषण के कारण जल प्रभावित होता है जिससे कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती है दूषित हवा से तापमान बढ़ता है जो बीमारी पैदा करने वाले कीट पतंगों को फलने फूलने के अनुकूल माहौल देता है जिसका असर क्षेत्र के फसलों पर देखा जा रहा है। आप को बता दे कि अभी धान की लुवाई किया जा रहा है जिससे खेतों में काला काला परत देखने आपको साफ मिल रहा है और किसानों ने कहा है कि इस बार खेतों में बीमारी भी बहुत बढ़ गई है और फसल
पिछले वर्ष से कम हुआ है।
“अगर ऐसी कोई बात है तो पर्यावरण विभाग से जानकारी लेकर जल्द कार्रवाई की जाएगी लोगों के स्वास्थ्य से किसी प्रकार का खिलवाड़ नही होने दिया जायेगा।”-- भरोसा राम ठाकुर
एसडीएम पथरिया।

नियमों का नहीं हो रहा पालन
फैक्ट्री की चिमनियों में निकलने वाले गर्म हवा को फिल्टर करने के लिए कई प्रकार के आधुनिक यंत्र लगाए जाते हैं परंतु अधिक खर्च आने के कारण कंपनियां इनका प्रयोग नियमित रूप से नहीं कर रही है वंही चिमनियों की ऊंचाई भी काफी कम लगती है इस पर प्रशासन को ध्यान रखने की जरूरत है।
काले धुंए से बनती पहाड़नुमा आकृति
नगर के आसपास का वातावरण इन फैक्ट्रियों के निकलने वाले काले धुंए के चलते देखने से आसमान में पहाड़ सी आकृति नज़र आने लगती है। आप अंदाजा लगा सकते है कि ये कितना गम्भीर और भयावह है।
सांस लेने में तकलीफ-ग्रामीण
इन फैक्ट्रीयों से निकलने वाले काले धुआं से होने वाले प्रदूषण का ये हाल है कि आसपास लगभग 7 से 8 किलोमीटर तक जब इसका दुष्प्रभाव देखने को मिलता है तब ऐसे में स्थानीय ग्रामीणों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है वे बताते है कि हमारी स्थिति काफी खराब होते जा रही है हम लोगो को धीरे धीरे सांस लेने में तकलीफ होने लगी है। ऐसे में विभाग का मौन रहना प्रश्न वाचक चिन्ह लगाता है।
और भी फैक्ट्रियां होने वाली है स्थापित
शायद इतना काफी नही था कि इतनी परेशानियों के सबब के बावजूद अभी और भी बड़ी फैक्ट्री खुलने को बेताब है। एक के बाद एक अगर ऐसे ही फैक्ट्रियों खुलती गयी और प्रशासन धृतराष्ट्र बनी रही तो निश्चित ही क्षेत्रवासियों को पलायन का रुख अपने परिवार का जीवन बचाने किया जावेगा।
