लैलूंगा में बेलगाम अपराधों का कहर : पुलिस-प्रशासन की नाकामी से दहशत में हैं लोग…

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

शैलेश शर्मा 9406308437नवभारत टाइम्स 24×7.in जिला ब्यूरो रायगढ़

रायगढ़। जिले का लैलूंगा क्षेत्र इन दिनों अराजकता का पर्याय बन चुका है। चोरी, लूट और हत्या जैसी संगीन वारदातों की बढ़ती श्रृंखला ने ग्रामीण इलाकों से लेकर कस्बाई बस्तियों तक भय और असुरक्षा का माहौल बना दिया है। पुलिस की निष्क्रियता और प्रशासनिक उदासीनता ने हालात को इस कदर बिगाड़ दिया है कि लोग अब दिन-दहाड़े घर से निकलने में भी डरने लगे हैं।

चेन स्नैचिंग से हत्या तक, कानून व्यवस्था रसातल में : बीते सप्ताह एक दिल दहला देने वाली हत्या की घटना ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया। उसके पहले हुई लगातार चोरी और चैन स्नैचिंग की घटनाएं पुलिस के दावों की पोल खोल चुकी थीं, लेकिन यह हत्या इस बात का प्रमाण बन गई कि अब अपराधी निडर हैं और आमजन असहाय।

एक स्थानीय महिला ने रोते हुए बताया – “हम अब अपने घरों में भी महफूज़ नहीं हैं। बच्चे, बुज़ुर्ग और महिलाएं हर वक्त डरे रहते हैं। क्या यही सुरक्षा है?”

गश्त ठप, निगरानी नदारद और अपराधियों के हौसले बुलंद  : स्थानीय रहवासियों का आरोप है कि पुलिस गश्त अब नाममात्र की रह गई है। रात में गलियां अंधेरे और खौफ के साए में डूबी रहती हैं। कहीं CCTV नहीं, कहीं पेट्रोलिंग नहीं। नतीजा ये कि अपराधियों के लिए लैलूंगा एक खुला खेल बन चुका है।

गंभीर सवाल उठते हैं :

  • आखिर क्यों नहीं हो रही नियमित गश्त?
  • हर वारदात के बाद FIR दर्ज करने में देरी क्यों होती है?
  • प्रशासन घटनाओं को रोकने की जगह सिर्फ “जांच जारी है” तक सीमित क्यों है?

जनप्रतिनिधियों की चुप्पी शर्मनाक : जनता अब सवाल पूछ रही है जनप्रतिनिधि कहां हैं? जो हर चुनाव में वादों की झड़ी लगाते हैं, वे अब अपराधियों की बढ़ती धमक पर चुप क्यों हैं? क्या आम जनता की जान की कीमत वोट के बाद खत्म हो जाती है?

जनता की मांगें – अब आरपार की लड़ाई : क्षेत्र की जनता ने साफ कर दिया है कि अब कोरी बयानबाजी नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए। उनकी प्रमुख मांगें हैं:

  • 24×7 सक्रिय पुलिस गश्त बहाल की जाए।
  • प्रत्येक मोहल्ले में CCTV कैमरे लगाए जाएं।
  • रात्रिकालीन मोबाइल पेट्रोलिंग टीम गठित हो।
  • हर आपराधिक घटना पर 72 घंटे के भीतर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
  • क्षेत्र में जनसुनवाई शिविर आयोजित किए जाएं, जहां अफसर आमजन की शिकायतें सुनें।

यह सिर्फ कानून व्यवस्था का संकट नहीं, बल्कि सरकार की जवाबदेही का इम्तिहान है।
अगर लैलूंगा की स्थिति नहीं सुधारी गई, तो जल्द ही यह क्षेत्र अपराधियों का अभयारण्य बन जाएगा, और जनता का शासन से भरोसा पूरी तरह टूट जाएगा।

अब देखना ये है कि प्रशासन और सरकार जागते हैं, या लैलूंगा की जनता को खुद सड़कों पर उतरकर जवाब मांगना पड़ेगा।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *