(जे के मिश्र) बिलासपुर: जांजगीर-चांपा जिले में पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा किसानों की जमीन पर कब्जा कर बिना अधिग्रहण किए सड़क निर्माण का मामला सामने आया है। इस मामले में किसानों ने मुआवजे की मांग की, लेकिन अधिकारियों ने उनकी बात को अनसुना कर दिया। आखिरकार, किसानों ने न्याय की गुहार लगाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे चार महीने के भीतर मामले का समाधान करें। लेकिन अफसरों ने कोर्ट के आदेश को नजरअंदाज करते हुए फाइल को आगे नहीं बढ़ाया।
कोर्ट के आदेश के बावजूद मुआवजे का वितरण नहीं किया गया
अधिकारियों की इस अनदेखी के बाद किसानों ने अवमानना याचिका दायर की। याचिका में यह बताया गया कि कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद मुआवजा राशि का वितरण नहीं किया गया है। हाईकोर्ट ने इस पर गंभीर रुख अपनाते हुए संबंधित अधिकारियों को अवमानना का दोषी मानते हुए नोटिस जारी किया है। इनमें पूर्व कलेक्टर नूपुर राशि पन्ना सहित आधा दर्जन अधिकारियों को नोटिस दिया गया है और उन्हें 3 सितंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया गया है।
पूरा मामला क्या है?
जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम अंडी में रहने वाले किसानों, नेतराम भारद्वाज और भवानीलाल भारद्वाज की जमीन पर 2012 में पीडब्ल्यूडी विभाग ने बिना किसी अधिग्रहण प्रक्रिया के सड़क बना दी। जब किसानों ने मुआवजे की मांग की, तो कलेक्टर और अन्य अधिकारियों ने उनकी बात को अनसुना कर दिया। इस पर किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें कई वरिष्ठ अधिकारियों को पक्षकार बनाया गया।
अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटकी
नवंबर 2022 में हाईकोर्ट के जस्टिस आरसीएस सामंत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि किसानों की जमीन को 2012 में लिया गया था और अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया है। कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे चार महीने के भीतर मुआवजे का निर्धारण कर उसे भुगतान करें। लेकिन कोर्ट के आदेश के बावजूद इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
अवमानना के दोषी अफसर
हाईकोर्ट ने अवमानना के दोषी माने गए अधिकारियों में पूर्व कलेक्टर सक्ती नूपुर राशि पन्ना, अनुविभागीय अधिकारी राकेश द्विवेदी (पीडब्ल्यूडी), रूपेंद्र पटेल (एसडीएम मालखरौदा), रेना जमील (सीईओ जनपद पंचायत), और प्रज्ञा नंद (कार्यकारी अधिकारी, पीडब्ल्यूडी ब्रिज, जगदलपुर) को शामिल किया है।
अवमानना के मामले में दोषी पाए जाने पर छह महीने की सजा और जुर्माने का प्रावधान है, जिसके तहत इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

Author: Deepak Mittal
