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अनुकंपा नियुक्ति में लापरवाही पर हाईकोर्ट सख्त, डीआईजी पारुल माथुर और एसपी विजय पांडेय को नोटिस जारी

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Deepak Mittal

जे के मिश्र,
जिला ब्यूरो चीफ
, नवभारत टाइम्स, 24*7in बिलासपुर

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के एक मामले में पुलिस विभाग की ढिलाई को गंभीरता से लेते हुए डीआईजी प्रशासन पारुल माथुर और जांजगीर-चांपा के एसपी विजय पांडेय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे तय समयसीमा में जवाब दाखिल करें, अन्यथा उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला विक्की भारती नामक युवक की ओर से दायर की गई अवमानना याचिका से जुड़ा है। याचिकाकर्ता ने अपने अधिवक्ताओं अभिषेक पांडेय और प्रिया अग्रवाल के माध्यम से अदालत को अवगत कराया कि उनके पिता छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में पदस्थ थे और सेवा के दौरान उनका निधन हो गया था।

हालांकि, मृत्यु से पूर्व सरकार द्वारा उनके पिता को “अनिवार्य सेवानिवृत्ति” दे दी गई थी। लेकिन बाद में राज्य सरकार ने यह आदेश निरस्त कर दिया, जिससे विक्की भारती को अनुकंपा नियुक्ति का वैधानिक अधिकार प्राप्त हो गया। हाईकोर्ट ने पहले ही अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि विक्की को 90 दिनों के भीतर नियुक्ति दी जाए, लेकिन आदेश को दरकिनार कर दिया गया।

आदेश की अवहेलना से आहत विक्की भारती ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस विभाग के रवैये को अत्यंत गैर-जिम्मेदाराना करार दिया और वरिष्ठ अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से नोटिस भेजा।

अब देखना होगा कि राज्य पुलिस प्रशासन इस संवेदनशील मामले में क्या जवाब पेश करता है और हाईकोर्ट की सख्ती के बाद क्या नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर ठोस पहल होती है। यह मामला केवल एक नियुक्ति नहीं, बल्कि न्यायिक आदेशों की गरिमा और नागरिक अधिकारों की रक्षा से जुड़ा हुआ है।

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