छत्तीसगढ़ की बेटियाँ बनीं राष्ट्रीय रेफरी, कराटे के मंच पर रचा नया इतिहास

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कुंती पाल और जास्मीन कोसले ने स्टेट रेफरी परीक्षा उत्तीर्ण कर राज्य को किया गौरवान्वित

निर्मल अग्रवाल | ब्यूरो प्रमुख, मुंगेली

सरगांव: छत्तीसगढ़ की बेटियों ने खेल के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। देहरादून में सम्पन्न 21वीं अखिल भारतीय रेन्बुकन कराटे-डो चैंपियनशिप के दौरान, कुंती पाल और जास्मीन कोसले ने राष्ट्रीय स्तर की स्टेट रेफरीशिप परीक्षा पास कर छत्तीसगढ़ का नाम गौरवान्वित किया है।

राष्ट्रीय पदक विजेता कुंती पाल ने केवल एक खिलाड़ी के रूप में ही नहीं बल्कि एक निष्पक्ष निर्णायक के रूप में भी अपनी योग्यता साबित की है। रेफरी बनने के लिए कराटे के नियमों, तकनीक और निष्पक्ष निर्णय क्षमता में पारंगत होना आवश्यक है, जिसे कुंती ने बखूबी सिद्ध किया है। उनकी यह सफलता छत्तीसगढ़ की बेटियों के लिए नए द्वार खोलने वाली है।

दूसरी ओर, ग्रामीण क्षेत्र खरोरा की प्रतिभाशाली जास्मीन कोसले ने सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से स्टेट रेफरीशिप परीक्षा में सफलता प्राप्त की। जास्मीन की यह उपलब्धि ग्रामीण युवतियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है, जो साबित करती है कि मेहनत और समर्पण से हर चुनौती को पार किया जा सकता है।

छत्तीसगढ़ कराटे फेडरेशन के मुख्य प्रशिक्षक सेन्सेई रमाकांत एस. मिश्र ने दोनों खिलाड़ियों की इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा:

“कुंती और जास्मीन ने यह दिखा दिया कि छत्तीसगढ़ की बेटियाँ सिर्फ पदक जीतने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब वे निर्णायक के रूप में भी राज्य और देश का नाम रोशन कर रही हैं। यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

यह उपलब्धि न केवल इन दो बेटियों की, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की प्रगतिशील सोच और खेल प्रतिभा की पहचान है, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।

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Author: Deepak Mittal

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