रायपुर, 22 अक्टूबर 2025।
छत्तीसगढ़ का बस्तर, जो कभी नक्सल प्रभावित इलाकों के नाम से जाना जाता था, अब “खेलों के ओलिंपिक मैदान” में तब्दील हो रहा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में बस्तर ओलंपिक 2025 का आयोजन एक नई उम्मीद, नई पहचान और नई दिशा लेकर आया है। यह आयोजन खेल के माध्यम से शांति, समरसता और विश्वास का प्रतीक बन चुका है।
3 लाख 91 हजार खिलाड़ियों का जोश – बस्तर ने रचा इतिहास!
बस्तर संभाग के 7 जिलों से 3,91,289 खिलाड़ियों ने पंजीयन कराया है — जिनमें 2,27,621 महिलाएं और 1,63,668 पुरुष खिलाड़ी शामिल हैं। इतनी बड़ी भागीदारी बताती है कि अब बस्तर के युवाओं की पहचान बंदूक नहीं, बल्ला और बैट से होगी।
प्रधानमंत्री मोदी भी कर चुके हैं सराहना
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा था —
“बस्तर ओलंपिक केवल खेल नहीं, विकास और विश्वास का संगम है।”
यह आयोजन अब राष्ट्रीय स्तर पर ‘Sports for Peace’ (शांति के लिए खेल) मॉडल के रूप में मिसाल बन रहा है।
खेल और संस्कृति का अनूठा संगम
एथलेटिक्स, तीरंदाजी, फुटबॉल, कबड्डी, खो-खो, हॉकी, वॉलीबॉल जैसे आधुनिक खेलों के साथ-साथ पारंपरिक खेलों को भी मंच मिलेगा।
इस बार प्रतियोगिता तीन चरणों — विकासखंड, जिला और संभाग स्तर पर होगी।
विजेताओं को नकद पुरस्कार, मेडल और ट्रॉफी दिए जाएंगे, और संभागीय स्तर के विजेताओं को “बस्तर यूथ आइकॉन” का खिताब मिलेगा।
विशेष पहल — पुनर्वास और पुनर्जागरण की दिशा में कदम
‘बस्तर ओलंपिक 2025’ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें नक्सल हिंसा से दिव्यांग व्यक्ति और आत्मसमर्पित नक्सली भी हिस्सा ले रहे हैं।
यह केवल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि पुनर्वास, पुनर्जीवन और नई शुरुआत की मिसाल है।
बस्तर की पहचान — वन भैंसा और पहाड़ी मैना बने शुभंकर
‘बस्तर ओलंपिक 2025’ का शुभंकर वन भैंसा और पहाड़ी मैना हैं, जो बस्तर की जीवंतता और सामुदायिक एकता का प्रतीक हैं। यह आयोजन खेलों के साथ-साथ संस्कृति, सौहार्द और विकास के महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री साय का संदेश
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा —
“बस्तर के खेल मैदानों से अब बंदूकों की जगह तालियों की गूंज सुनाई देगी। यही है बस्तर की नई पहचान — खेलों से विश्वास, खेलों से विकास।”

Author: Deepak Mittal
