नटराज आसन और ऊँट मुद्रा : संतुलन, लचीलापन और मानसिक स्पष्टता के लिए लाभकारी योगासन..

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

नटराज आसन
‘नटराज’ शब्द संस्कृत के “नट” (अर्थात् नर्तक) और “राज” (अर्थात् राजा) शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है “नृत्य के राजा”। यह नाम भगवान शिव के नटराज स्वरूप से प्रेरित है, जिन्हें भारतीय शास्त्रीय नृत्य का आदिदेव माना जाता है। नटराज आसन, जो एक संतुलनात्मक मुद्रा है, शरीर की मजबूती, लचीलापन और एकाग्रता को बढ़ाने में सहायक होता है।

इस आसन के नियमित अभ्यास से न केवल तंत्रिका तंत्र को सक्रियता मिलती है, बल्कि मानसिक स्पष्टता और ध्यान क्षमता में भी सुधार होता है। यह आसन पाचन शक्ति को भी प्रबल करता है और शरीर की मुद्रा (पोश्चर) को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है।

ऊँट मुद्रा (उष्ट्रासन)
ऊँट मुद्रा, जिसे उष्ट्रासन कहा जाता है, एक गहन पीठ झुकाव वाला आसन है जो शरीर की छाती और रीढ़ को फैलाता है। इस आसन में घुटनों के बल बैठकर पीछे की ओर झुकते हुए हाथों से टखनों को पकड़ा जाता है, जिससे छाती खुलती है और श्वसन प्रणाली को मजबूती मिलती है।

शारीरिक रूप से यह मुद्रा मेरुदंड को लचीला बनाती है, कंधों और छाती को खोलती है तथा थकान और पीठ दर्द में राहत देती है। मानसिक रूप से, यह आसन तनाव और चिंता को कम कर आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ाता है। उष्ट्रासन ध्यान और मानसिक संतुलन को भी बेहतर बनाता है।

हालाँकि, इस आसन का अभ्यास प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक की निगरानी में ही किया जाना चाहिए, विशेषकर यदि किसी को पीठ या गर्दन से जुड़ी कोई समस्या हो। आवश्यकता अनुसार, पीठ को सहारा देने के लिए कंबल या योग ब्लॉक का भी उपयोग किया जा सकता है।

नटराज आसन और ऊँट मुद्रा दोनों ही योगाभ्यास, शारीरिक सुदृढ़ता और मानसिक शांति के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। इनका नियमित अभ्यास व्यक्ति के संपूर्ण स्वास्थ्य और जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *