BJP President: बिहार की राजनीति से उठकर नितिन नबीन अचानक राष्ट्रीय फलक पर कैसे छा गए, इस सवाल पर दिल्ली से पटना तक चर्चाएं तेज हैं। इस बीच बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बने नितिन नबीन (Nitin Nabin) को लेकर संकेत मिल रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का यह फैसला अभी अधूरा है।
पार्टी उन्हें एक बड़ा पद देने के मूड में है। इसके तार जुड़े हैं बिहार में होने वाले राज्यसभा चुनाव से, बिहार में राज्यसभा चुनाव अभी करीब तीन महीने दूर हैं, लेकिन सियासी शतरंज पर गोटियां अभी से बिछाई जा रही हैं।
नितिन नबीन को लेकर इन दिनों यह चर्चा तेज है कि वे जल्द ही बिहार विधानसभा की सदस्यता छोड़कर राज्यसभा जाएंगे। इन अटकलों की एक बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के तुरंत बाद उन्होंने बिहार सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसी आधार पर कई राजनीतिक गलियारों में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अगला कदम विधानसभा से इस्तीफा देने का होगा।

राज्यसभा की बिसात और नितिन नबीन का रोल
9 अप्रैल 2026 को बिहार से राज्यसभा की पांच सीटें खाली हो रही हैं। इनमें राजद के प्रेम चंद गुप्ता, एडी सिंह, जदयू के हरिवंश नारायण, रामनाथ ठाकुर और उपेंद्र कुशवाहा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इस बार एक सीट जीतने के लिए कम से कम 41 विधायकों का समर्थन जरूरी होगा। 243 सदस्यीय विधानसभा के गणित के हिसाब से यह आंकड़ा तय होता है।
वर्तमान संख्या बल देखें तो राजद के लिए एक सीट भी निकालना आसान नहीं है। जदयू के पास अपने दो सांसद बचाने लायक विधायक हैं, जबकि बीजेपी 89 विधायकों के दम पर न सिर्फ अपनी सीटें पक्की कर सकती है, बल्कि विपक्ष की सीटों पर भी सेंध लगा सकती है। ऐसे में नितिन नबीन का नाम राज्यसभा के लिए लगभग तय माना जा रहा है। यानी भाजपा नितिन नबीन को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के साथ-साथ राज्यसभा सांसद भी बनाने वाली है। अगर ऐसा हुआ तो ये नितिन नबीन के लिए अगला बड़ा सरप्राइज होगा।

नितिन नबीन को भाजपा क्यों भेजना चाहती है राज्यसभा?
पटना के बांकीपुर से विधायक और पूर्व मंत्री रहे नितिन नबीन ने राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के सिर्फ दो दिन बाद ही बिहार कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अगला कदम विधायक पद से इस्तीफा हो सकता है। मतलब साफ है-अब उनकी राजनीति का केंद्र पटना नहीं, दिल्ली होगी।
बीजेपी के भीतर यह भी दलील दी जा रही है कि देश की सबसे बड़ी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष या शीर्ष पदों पर बैठा नेता विधायक के तौर पर रहना पार्टी के कद के अनुरूप नहीं होता। इसी परंपरा के तहत पहले उन्हें राज्यसभा भेजा जाएगा, ताकि वे केंद्र की राजनीति में मजबूती से स्थापित हो सकें।
हालांकि कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हकीकत इससे अलग है। नितिन नबीन फिलहाल बिहार विधानसभा के विधायक बने रहेंगे और आने वाले कुछ वर्षों तक राज्यसभा जाने का कोई इरादा नहीं है। पार्टी के भीतर यह साफ संदेश है कि उनकी प्राथमिकता संगठनात्मक जिम्मेदारियों पर पूरी तरह फोकस करने की है। अब ये देखने वाली बात होगी कि भाजपा का हाईकमान इसपर क्या फैसला लेता है। फिलहाल नितिन नबीन को लेकर राजनीति में दोनों तरह की चर्चाएं हैं।
बीजेपी के इतिहास में ऐसे उदाहरण पहले भी रहे हैं। जब नितिन गडकरी को पार्टी अध्यक्ष बनाया गया था, तब उन्होंने भी यह तय किया था कि वे पार्टी संगठन पर काम करेंगे और कम से कम तीन साल तक राज्यसभा नहीं जाएंगे। इसी तरह अमित शाह ने भी अध्यक्ष बनने के बाद खुद को लंबे समय तक संगठन मजबूत करने में झोंक दिया था।
बताया जा रहा है कि नितिन नबीन ने भी वरिष्ठ नेताओं से चर्चा के बाद इसी राह पर चलने का फैसला किया है। फिलहाल उनका पूरा ध्यान संगठन को मजबूती देने पर रहेगा और विधानसभा की सदस्यता बनाए रखते हुए वे अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहेंगे।
क्या स्थायी राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का रास्ता तैयार हो रहा है?
फरवरी 2025 के मध्य में बीजेपी का राष्ट्रीय अधिवेशन होने की संभावना है। स्थान अभी तय नहीं, लेकिन दिल्ली को लेकर तैयारी की चर्चा है। इस अधिवेशन में नितिन नबीन को परमानेंट राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है। हजारों कार्यकर्ता, राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेता इसमें शामिल होंगे। बंगाल और तमिलनाडु जैसे चुनावी राज्यों को लेकर विशेष प्रस्ताव भी आ सकते हैं।
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कार्यकारी अध्यक्ष का पद दरअसल एक तरह का प्रोबेशन पीरियड हो सकता है। पार्टी देख रही है कि नितिन नबीन राष्ट्रीय स्तर पर संगठन और रणनीति को कैसे संभालते हैं।

मोदी-शाह के खास नेताओं में कैसे शामिल हुए नितिन नबीन
पिछले कुछ सालों में नितिन नबीन कई मौकों पर पार्टी नेतृत्व की नजर में आए। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दौरान छठ पर्व में अमित शाह का नितिन नबीन के घर जाना, चुनावी दौरों में पीएम मोदी का प्रोटोकॉल तोड़कर उनसे अलग से बातचीत करना, गांधी मैदान के बड़े आयोजनों की जिम्मेदारी संभालना-ये सब इशारे थे कि नितिन नबीन का कद तेजी से बढ़ रहा है।
अप्रैल 2025 में मधुबनी की रैली से लेकर पार्टी की फंडिंग और संगठनात्मक मैनेजमेंट तक, नितिन नबीन की भूमिका अहम मानी जाती रही है। उनकी छवि एक युवा, विवादों से दूर और जमीन से जुड़े नेता की है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, शिवराज सिंह चौहान और सुनील बंसल जैसे बड़े नाम पहले से चर्चा में थे। इसके बावजूद एक प्रदेश स्तर के विधायक को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनाना बीजेपी की नई रणनीति की ओर इशारा करता है। पार्टी शायद नई पीढ़ी को आगे लाकर लंबी राजनीतिक पारी खेलने की तैयारी में है।
खबरें आ रही हैं कि बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन जल्दी ही बिहार विधानसभा से इस्तीफा देंगे और राज्यसभा में आयेंगे।
ये अटकलें इसलिए भी लग रही हैं कि कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने तुरंत बिहार मंत्रीमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया था इसलिए ज़्यादातर खबरची ये मान कर चल रहे…— यतेन्द्र शर्मा @YatendraMedia (@YatendraMedia) December 21, 2025
Author: Deepak Mittal










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