रायगढ़ में मरीन ड्राइव परियोजना बना उजाड़ का प्रतीक : बुलडोज़र के साए में टूटीं ज़िंदगियाँ, मोहल्ले में तनाव चरम पर…

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

शैलेश शर्मा 9406308437नवभारत टाइम्स 24×7.in जिला ब्यूरो रायगढ़

रायगढ़। शहर के जेलपारा और प्रगति नगर क्षेत्र में प्रस्तावित मरीन ड्राइव परियोजना को लेकर शुक्रवार से उपजा आक्रोश अब विस्फोटक स्थिति में पहुँच चुका है। शनिवार सुबह एक बार फिर नगर निगम की टीम भारी पुलिस बल एवं बुलडोज़र के साथ मोहल्ले में पहुँची और मकानों को ध्वस्त करना आरंभ कर दिया। मौके पर रायगढ़ पुलिस अधीक्षक सहित अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित हैं, परंतु भारी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद स्थानीय नागरिकों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा।

जहाँ एक ओर प्रशासन इस परियोजना को ‘विकास’ की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बता रहा है, वहीं दूसरी ओर सैकड़ों परिवारों के लिए यह मरीन ड्राइव उजाड़ और बेघर होने की त्रासदी लेकर आई है। अब तक तीन दर्जन से अधिक मकान तोड़े जा चुके हैं और कार्रवाई अभी जारी है।

बिना समुचित सूचना, जबरन उजाड़ने का आरोप : स्थानीय निवासियों का आरोप है कि उन्हें किसी प्रकार की वैकल्पिक व्यवस्था, पुनर्वास योजना या समयबद्ध सूचना दिए बिना जबरन उजाड़ा जा रहा है। “हम पिछले 20-25 वर्षों से यहाँ निवास कर रहे हैं। अब अचानक मरीन ड्राइव के नाम पर हमारे आशियाने छीनने की कोशिश की जा रही है,” एक महिला निवासिनी ने रोते हुए कहा।

जानकारी के अनुसार, बढ़ते ट्रैफिक के मद्देनज़र नया शनि मंदिर से लेकर छठ पूजा स्थल तक सड़क निर्माण की योजना बनाई गई है, जिसके दायरे में जेलपारा और प्रगति नगर के लगभग 100 से अधिक घर आ रहे हैं। नगर निगम ने इन घरों को तोड़ने के लिए पूर्व में नोटिस जारी करने का दावा किया है, जिसे मोहल्लेवासी अस्वीकार कर रहे हैं।

महिला कांग्रेस ने किया विरोध, प्रशासन के विरुद्ध सड़कों पर उतरीं महिलाएं : मकानों को टूटता देख मोहल्ले की महिलाओं का आक्रोश फूट पड़ा। महिला कांग्रेस की कार्यकर्ताओं ने मौके पर पहुँचकर बुलडोज़र के सामने खड़े होकर कार्रवाई का विरोध किया। प्रशासन के समक्ष महिलाओं ने नारेबाज़ी करते हुए स्पष्ट कहा:

“पहले पुनर्वास, फिर विकास!”
“हमारे घर नहीं उजड़ने देंगे!”

तनावपूर्ण स्थिति, पुलिस छावनी में तब्दील हुआ इलाका : शुक्रवार देर रात जब सैकड़ों की संख्या में मोहल्लेवासी कलेक्टर बंगले का घेराव करने पहुँचे, तब प्रशासन हरकत में आया। तत्काल भारी पुलिस बल जेलपारा और प्रगति नगर में तैनात कर दिया गया। रायगढ़ एसडीएम महेश शर्मा मौके पर पहुँचकर लोगों को समझाने का प्रयास करते रहे, परंतु स्थानीय जनता आश्वासनों से संतुष्ट नहीं है।

प्रशासनिक रवैये पर उठे गंभीर प्रश्न : पूरे घटनाक्रम में प्रशासन की संवेदनहीनता और तानाशाहीपूर्ण कार्यप्रणाली पर गम्भीर सवाल खड़े हो रहे हैं। न तो विस्थापितों को कोई ठोस पुनर्वास नीति दी गई, और न ही उन्हें अपने सामान को सुरक्षित निकालने का पर्याप्त समय। क्या विकास अब लोगों के जीवन और घरों को रौंदकर आगे बढ़ेगा?

आगे क्या? संघर्ष की आहट : फिलहाल क्षेत्र में स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण बनी हुई है। जनप्रतिनिधियों की चुप्पी, नगर निगम की हठधर्मिता और प्रशासन की कठोरता के चलते जनता में आक्रोश गहराता जा रहा है। यदि शीघ्र कोई मानवीय समाधान नहीं निकाला गया, तो यह आंदोलन सड़कों से होते हुए विधानसभा तक गूंज सकता है।

यदि मरीन ड्राइव की नींव किसी गरीब की छाती पर रखी जाएगी, तो सवाल केवल विकास का नहीं, इंसानियत का भी होगा।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *