रांची, झारखंड।
झारखंड की राजधानी रांची में एक नाबालिग आदिवासी बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने एक बार फिर राज्य में महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। भरोसे की तलाश में “अंकल” कहकर मदद मांग रही मासूम को ऑटो ड्राइवर और उसके साथी ने दरिंदगी का शिकार बना डाला।
दिल्ली जाने की योजना बदली, अकेली पड़ गई मासूम
घटना 30 मई की है। पीड़िता गुमला जिले की रहने वाली है, जो अपनी सहेली के साथ दिल्ली जाने के लिए बस से रांची पहुंची थी। रांची के हटिया स्टेशन पर पहुँचने के बाद उसका इरादा बदल गया और वह दिल्ली न जाकर वापस घर लौटने का निर्णय लेती है। इस दौरान वह अकेली रह जाती है।
घर छोड़ने के बहाने जंगल में ले गए दरिंदे
घर लौटने के लिए पीड़िता ने एक ऑटो में लिफ्ट ली, जिसमें ड्राइवर के साथ एक अन्य युवक भी मौजूद था। नाबालिग को विश्वास था कि ये लोग उसे गुमला लौटने में मदद करेंगे। लेकिन दोनों ने उसे बहला-फुसलाकर अगवा कर लिया और बेड़ो-इटकी क्षेत्र के सुनसान जंगल में ले जाकर पूरी रात गैंगरेप किया।
अगले दिन सुनसान पुल पर फेंककर फरार
घटना के बाद दोनों आरोपी अगले दिन सुबह पीड़िता को रातू क्षेत्र के मुरगु पुल के पास सुनसान इलाके में फेंककर फरार हो गए। किसी तरह पीड़िता स्थानीय लोगों की मदद से रातू थाना पहुंची और अपनी आपबीती पुलिस को सुनाई।
FIR दर्ज, पुलिस कर रही छापेमारी
रातू थाना पुलिस ने पॉक्सो एक्ट और गैंगरेप की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। टेक्निकल सेल की मदद से ऑटो ड्राइवर और उसके साथी की पहचान और गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। पुलिस का दावा है कि आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
गंभीर सवाल: कब मिलेगी बच्चियों को सुरक्षित जिंदगी?
यह घटना एक बार फिर इस कड़वे सच को उजागर करती है कि नाबालिग बच्चियों के लिए सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा अब भी एक सपना है। भरोसे और मदद की उम्मीद लेकर निकली एक बच्ची को विश्वासघात और वहशीपन का शिकार होना हमारे सामाजिक और कानूनी ढांचे पर बड़ा प्रश्नचिह्न है।
पीड़िता फिलहाल चिकित्सकीय निगरानी में है और महिला संरक्षण इकाइयाँ उसकी काउंसलिंग में जुटी हैं। पुलिस प्रशासन से लेकर सरकार तक इस घृणित अपराध पर कड़ी कार्रवाई और पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग हो रही है।
