निर्मल अग्रवाल ब्यूरो 8959931111
बिल्हा- जब भी किसी परिवार में जन्म,मृत्यु या विवाह होता है, पूरा परिवार नहीं जाता पर भगवान शिव ऐसे हैं कि वह अपने पूरे परिवार समेत आते हैं। शिव महापुराण की कथा में 600 नदियां, चार धाम, 12 ज्योतिर्लिंग, 33 कोटी देवी देवता विराजमान होते हैं। हमेशा भगवान शिव की भक्ति करते रहनी चाहिए। शिव पुराण की 7 दिन की कथा से 12 ज्योतिर्लिंग और चार धाम की यात्रा का फल मिलता है। सभी मनुष्य को उसके कर्मों का फल अवश्य मिलता है।
सिद्धेश्वर महापुराण की कथा श्री राणी सती मंदिर के प्रांगण में राष्ट्रीय संत श्री ललित नगर के मुखारविंद से हो रही है, कथा के पंचम दिवस उन्होंने बताया कि भगवान शंकर को एक लोटा जल और बेलपत्र अवश्य चढ़ाना चाहिए। भगवान शंकर ने माता पार्वती के साथ विवाह किया पर माता गंगा को दुर्वासा ऋषि के श्राप के कारण जल बनना पड़ा तो उसे उन्होंने अपनी जटा में धारण किया।

जब भगवान विष्णु ने मोहिनी रुप धारण किया तब भगवान शिव उनके रूप को देखकर मंत्र मुक्त हो गए थे तब तेज पुंज प्रकट हुआ, जिसे अग्नि देव ने पीपल के पत्ते पर रख गंगा में प्रवाहित किया, इसी तेज पुंज से 6 बालकों का जन्म हुआ जिसे ऋषि पत्नियां कृतिकाओं ने पाला, छह बालकों को एक बार किया गया, जिस कारण उसका नाम कार्तिकेय देव हुआ है। इस कारण अग्नि देव को माता पार्वती ने श्राप दिया कि तुम कबूतर का रूप धारण करो , जिस भी घर में तुम्हारा वास रहेगा, वहां कभी भी लक्ष्मी का वास नहीं होगा।

सतयुग में गणेश जी विनायक नाम से, त्रेता युग में राम जी ने गणेश जी की पूजा की मयूरेश्वर नाम से, द्वापर युग में गणेश जी गजानन नाम से, कलयुग में गणेश गजानन कहते हैं।
कभी भी भगवान के नाम से लिया दान या राशि को हड़पना नहीं चाहिए, और अपने भाई के धन दौलत जमीन को कभी नहीं हड़पना चाहिए।
जिस घर में बिन बुलाए गाय आती है बहन बेटियां आती है वह घर हमेशा तरक्की करता है वहां हमेशा लक्ष्मी का वास रहता है।
भगवान से कभी भी धन दौलत नहीं मांगना चाहिए उनसे हमेशा उनके भक्ति और उन्हीं को मांगना चाहिए। जिससे मनुष्य का सभी काम अपने आप ही पूर्ण हो जाता है। षष्ठी दिवस की कथा में भगवान गणेश का रिद्धि सिद्धि विवाह वर्णन होगा।
