जानें कौन हैं वो संत ज‍िनका प्रेमानंद महाराज ने पांव पखारे, देखते ही फूट-फूटकर रोने लगे

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प्रेमानंद महाराज से म‍िलने गुरु शरणानंद पहुंचे तो वे उनके आंखों से आंसू बहने लगे. उन्होंने गुरु शरणानंद महाराज को अपनी गद्दी पर बैठया. प्रेमानंद महाराज को गले लगाया और दोनों लोगों के आंखों से प्रेम के आंसू बह रहे थे.

ये देखकर प्रेमांनद महाराज के श‍िष्‍य भी भावुक हो गए. प्रेमानंद महाराज ने गुरु शराणनंद के पांव पखारे. इसका वीड‍ियो सामने आया तो दो संतों का अद्भुत म‍िलन देखकर प्रेमानंद के चाहने वाले भक्‍त भावुक हो गए. गुरु शरणानंद महाराज का पांव पखारने के बाद प्रेमानंद महाराज ने आरती उतारी.

प्रेमानंद महाराज ने अपनी गद्दी पर बैठाया

प्रेमानंद महाराज का हालचाल जानने के ल‍िए गुरु शरणानंद महाराज उनसे मिलने के ल‍िए पहुंचे थे. गुरु शरणानंद महाराज को देखते प्रेमनंद महाराज गद्दी से उठकर दौड़ पड़े और साष्‍टांग प्रणाम क‍िया. फ‍िर उन्होंने प्रेमानंद महाराज को उठाकर गले लगाया. प्रेमानंद महाराज ने उन्हें गद्दी पर बैठाया. यह पहली बार था जब प्रेमानंद महाराज ने क‍िसी संत को अपनी गद्दी पर बैठाया.

 गले लगकर रोने लगे प्रेमानंद महाराज.

गुरु शरणानंद के शिष्य ने किडनी दान करने के लिए कहा

इस दौरान गुरु शरणानंद महाराज ने प्रेमानंद महाराज से कहा क‍ि उनका एक भक्‍त अपनी क‍िडनी दान करना चाहता है. इस पर प्रेमानंद महाराज ने कहा, “जब तक राधा रानी जी की कृपा है, वह इसी क‍िडनी से अपना जीवनयापन करेंगे.” उन्होंने अपनी क‍िडनी बदलवाने से मना कर द‍िया.” गुरु शरणानंद महाराज वृंदावन के प्रमुख आध्‍यात्‍मिक गुरु हैं. प्रेमानंद महाराज के समकालीन और सहयोगी है. वे भक्‍त‍ि मार्ग के प्रचारक हैं.

 प्रेमानंद महाराज से मिलने पहुंचे गुरु शरणानंद महाराज.

प्रेमानंद महाराज स्वस्थ, केलि कुंज आश्रम ने जारी की एडवाइजरी

प्रेमानंद महाराज के स्‍वास्‍थ्‍य पर फैल रहे अफवाह पर केल‍ि कुंज आश्रम ने स्‍पष्‍ट एडवाइजरी जारी की है. केल‍ि कुंज आश्रम ने पत्र जारी करके कहा क‍ि आप सभी को अवगत कराया जाता है कि पूज्य गुरुदेव श्री हित प्रेमानन्द गोविंद शरण जी महाराज का स्वास्थ्य ठीक है. गुरुदेव पूर्ववत अपनी दैनिक दिनचर्या में ही स्थित हैं. केवल प्रातः कालीन पदयात्रा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित किया गया है, इसलिए आप सभी से विनम्र निवेदन है कि कृपया किसी भी प्रकार की झूठी या निराधार अफवाहों पर ध्यान न दें और न ही उन्हें फैलाएं.

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Author: Deepak Mittal

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