आज पूरे देश में करवा चौथ का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में यह दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करके अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की खुशहाली के लिए निर्जला व्रत करती हैं।
पूरा दिन बिना पानी और भोजन के, मन में पति के लिए प्यार और विश्वास रखकर बिताया जाता है। रात को जब व्रत खोलने का समय आता है, तो अक्सर चांद देर से दिखाई देता है, जिससे व्रती महिलाओं की बेचैनी बढ़ जाती है। लेकिन यह केवल भावनात्मक अनुभव नहीं, बल्कि इसके पीछे एक वास्तविक वैज्ञानिक कारण भी है।
चांद देर से क्यों निकलता है?
चंद्रमा का उदय समय खगोलीय यांत्रिकी (Astronomical Mechanics) से तय होता है। पृथ्वी और चंद्रमा अपनी-अपनी कक्षाओं में लगातार घूमते हैं। चंद्रमा हर दिन पृथ्वी की तुलना में लगभग 13 डिग्री आगे बढ़ जाता है, जिससे चंद्रमा को फिर से क्षितिज पर दिखाई देने के लिए पृथ्वी को थोड़ा और घूमना पड़ता है। इसका परिणाम होता है कि चांद प्रति दिन लगभग 50 मिनट देरी से दिखाई देता है।
क्यों हर दिन समय अलग होता है?
चांद की गति हमेशा समान नहीं रहती। जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे पास होता है, तो वह तेज़ गति से चलता है, और जब दूर होता है, तो धीमी गति से चलता है। इसके अलावा, चंद्रमा पूरी तरह गोल नहीं बल्कि अंडाकार कक्षा में घूमता है। इन कारणों से चांद का उदय हर दिन कुछ मिनटों से लेकर एक घंटे तक आगे या पीछे हो सकता है।
करवा चौथ पर देरी का खास कारण
करवा चौथ पर चंद्रमा देर से दिखाई देने का मुख्य कारण उसकी दैनिक गति और उस दिन की कक्षीय स्थिति का स्वाभाविक तालमेल है। केवल करवा चौथ ही नहीं, बल्कि पूर्णिमा के दिन भी चंद्रमा लगभग सूर्यास्त के समय उदय होता है। करवा चौथ पूर्णिमा के चार दिन बाद आता है, इस दौरान चंद्रमा का उदय समय काफी आगे बढ़ जाता है। इसलिए इस दिन चंद्रमा लगभग 3 घंटे 20 मिनट या 200 मिनट देर से दिखाई देता है। हालांकि, देरी का असर स्थान के अनुसार अलग-अलग हो सकता है।
कहीं जल्दी, कहीं देर से क्यों दिखता है चांद
स्थानीय वातावरण और भौगोलिक स्थिति भी चांद के दिखाई देने के समय को प्रभावित करती है। ऊंची इमारतें, पहाड़ या वायुमंडल की हवादारी चंद्रमा की रोशनी को मोड़ देती है। इसलिए कभी-कभी चांद गणना के अनुसार निकल चुका होता है, लेकिन हमें वह तब दिखाई देता है जब वह लंबी-ऊंची इमारतों से ऊपर आ जाए।

Author: Deepak Mittal
