करवा चौथ का पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि होता है. ये तिथि 10 अक्टूबर को पड़ रही है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. मान्यता के मुताबिक, चंद्रोदय के समय महिलाएं थाली सजाती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं.
इसके बाद छलनी से पति का चेहरा देखती हैं. पूजा करने के बाद पति अपनी पत्नी का पानी पिलाकर व्रत पारण करवाता है. इसके बाद दोनों प्रसाद पाते हैं.
वहीं, अर्घ्य देने से पहले शाम के समय शिव, पार्वती और कार्तिकेय भगवान के साथ-साथ गणेशजी की पूजा का विधान है. महिलाएं न सिर्फ करवा चौथ की कथा का श्रवण करतीं बल्कि करवा माता की विधि-विधान के साथ आरती करती हैं. वे सबसे पहले गणेशजी की आरती करती हैं क्योंकि मान्यता है कि किसी भी अनुष्ठान या पूजा में सबसे पहले गणेश जी को याद किया जाता है. इसके बाद करवा माता की आरती की जाती है और पूजा का समापन किया जाता है.
श्री गणेशजी आरती ( Ganesh Ji Ki Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा. माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा..
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी. माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी..
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा. लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा..
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया. बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया..
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा. माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा..
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी. कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी..
करवा चौथ आरती (Karwa Mata Aarti)
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया. जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया..
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी. यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी..
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती. दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती..
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे. गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे..
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे. व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे..
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.

Author: Deepak Mittal
