नई दिल्ली (इंटरनेट डेस्क)। भारत और अमेरिका की हाई-टेक पार्टनरशिप अब एक नए मुकाम पर पहुंचने वाली है। बुधवार शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा से एक ऐसा सैटेलाइट लॉन्च होगा, जो पूरी दुनिया की धरती और बर्फीली सतहों पर पैनी नजर रखेगा।
इस ऐतिहासिक मिशन का नाम नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) है। NISAR को इसरो के GSLV-F16 रॉकेट के जरिए सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए 27 घंटे 30 मिनट की उल्टी गिनती मंगलवार दोपहर 2:10 बजे से शुरू हो चुकी है। इसरो ने सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि भी की है।
जानें इस मिशन की खासियत क्या है?
यह सैटेलाइट कोई मामूली ऑब्जर्वेशन मिशन नहीं है। इसका मकसद पूरी पृथ्वी की सतह को हर 12 दिन में स्कैन करना है। यह सेंटीमीटर लेवल तक की हलचल को रिकॉर्ड कर सकता है। यानी ज़रा-सी भी हलचल, चाहे वो बर्फ की चादर पर हो या जमीन पर इससे बचना नामुमकिन होगा। इससे पहले इसरो ने रिसोर्ससैट और रिसेट जैसे कई अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट भेजे हैं, लेकिन वे सिर्फ भारत तक ही सीमित थे। NISAR पहला ऐसा सैटेलाइट है जो पूरी दुनिया पर नजर रखेगा। इसका कुल वजन है करीब 2,392 किलो।
GSLV-F16/NISAR
Today’s the day!
Launch Day has arrived for GSLV-F16 & NISAR. GSLV-F16 is standing tall on the pad. NISAR is ready. Liftoff today.🗓️ July 30, 2025
Live from: 17:10 Hours IST
Liftoff at : 17:40 Hours ISTLivestreaming Link: https://t.co/flWew2LhgQ
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— ISRO (@isro) July 30, 2025
टेक्नोलॉजी जो बनाएगी इसे सुपर-सैटेलाइट
इस मिशन में शामिल हैं दो सुपर एडवांस रडार, एल-बैंड रडार (NASA द्वारा तैयार) और एस-बैंड रडार (ISRO द्वारा विकसित) है। ये दोनों मिलकर एक तरह से पृथ्वी की आंख बनेंगे। इनके जरिए भूकंप, सुनामी, बाढ़, भूस्खलन और ज्वालामुखी जैसी प्राकृतिक आपदाओं को रीयल-टाइम में ट्रैक किया जा सकेगा। NISAR से मिलने वाला डेटा पूरी दुनिया के वैज्ञानिकों के लिए उपलब्ध होगा। इससे न सिर्फ आपदा प्रबंधन बेहतर होगा, बल्कि क्लाइमेट चेंज, ग्लेशियर मेल्टिंग और खेती की निगरानी जैसे क्षेत्रों में भी मदद मिलेगी।

Author: Deepak Mittal
