आईपीएस जसबीर सिंह: ईमानदारी और विवादों से घिरी कहानी

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लखनऊ: यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा पास कर देश की सेवा करने का सपना देखने वाले अधिकारी की कहानी सफलता, संघर्ष, और विवादों से भरी है। यह कहानी है आईपीएस अधिकारी जसबीर सिंह की, जो 1992 बैच के अधिकारी थे और अपने कार्यकाल में ईमानदारी और कड़े फैसलों के लिए जाने गए।

शुरुआत:
पंजाब के होशियारपुर में जन्मे जसबीर सिंह ने सिविल इंजीनियरिंग में बीई की डिग्री लेने के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की। 1991 में परीक्षा पास कर 1992 बैच के आईपीएस बने और उत्तर प्रदेश कैडर में उनकी नियुक्ति हुई।

कड़े फैसलों के लिए पहचान:
1997 में प्रतापगढ़ के एसपी रहते हुए जसबीर सिंह ने बाहुबली नेता राजा भैया को गिरफ्तार कर सुर्खियां बटोरीं। उस समय यूपी में मायावती की सरकार थी, और उन्होंने जसबीर सिंह को इस जिम्मेदारी के लिए चुना। हालांकि, बसपा सरकार के बाद उन्हें बार-बार ट्रांसफर का सामना करना पड़ा।

विवाद और संघर्ष:
2002 में महाराजगंज के एसपी रहते हुए जसबीर सिंह ने योगी आदित्यनाथ पर रासुका लगाने की सिफारिश की। उनके इस कदम ने उन्हें विवादों के केंद्र में ला दिया। एडीजी होमगार्ड रहते हुए भी उन्होंने भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर किया, जिसके कारण उनका विभाग बदल दिया गया।

निलंबन और सेवामुक्ति:
14 फरवरी 2019 को जसबीर सिंह को बिना सूचना के छुट्टी पर जाने के आरोप में निलंबित कर दिया गया। इसके अलावा, उन्होंने सरकार पर बिना काम के सैलरी देने का आरोप लगाया, जो उनके खिलाफ बड़ा कारण बना। पांच साल से अधिक निलंबन के बाद, नवंबर 2024 में उन्हें सेवामुक्त कर दिया गया।

अपील और भविष्य:
जसबीर सिंह ने सरकार के फैसले के खिलाफ राष्ट्रपति से अपील की है। सेवामुक्त होने के बाद उन्हें वेतन नहीं मिलेगा।

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Author: Deepak Mittal

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