जे के मिश्र / छत्तीसगढ़ में डीए पर विवाद: कर्मचारियों और पेंशनरों की मांग, देय तिथि से बढ़े डीए, सरकार से फौरन संशोधन का आदेश जारी करने की अपील
बिलासपुर छत्तीसगढ़ के 6 लाख कर्मचारी और पेंशनर प्रदेश सरकार के महंगाई भत्ते (डीए) को लेकर नाराज हैं। सरकार द्वारा मार्च से डीए लागू करने का आदेश पढ़कर कर्मचारी संगठनों ने असंतोष व्यक्त किया है और इसे “देय तिथि” से लागू करने की मांग की है। नाराज कर्मचारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देय तिथि से डीए देने की “गारंटी” को वित्त विभाग केवल एक वादा बनाकर न छोड़े।
संयुक्त मोर्चा की मांग – आचार संहिता से पहले संशोधित आदेश जारी हो
कर्मचारी संगठनों जैसे कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन, मंत्रालयीन कर्मचारी संघ, लिपिक वर्गीय संघ और पेंशनर्स संघ ने एकजुट होकर “छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी संयुक्त मोर्चा” के तहत प्रदेश सरकार से अपील की है कि आचार संहिता लागू होने से पहले डीए वृद्धि के आदेश में संशोधन कर उसे “देय तिथि” से लागू किया जाए। उनका मानना है कि जब भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को देय तिथि से डीए दिया जा सकता है, तो आम कर्मचारियों और पेंशनरों के साथ भी यही व्यवहार होना चाहिए।
भूपेश सरकार की गलत परंपरा दोहराने की आशंका
संयुक्त मोर्चा का कहना है कि भूपेश सरकार के कार्यकाल में 5 वर्षों तक डीए के एरियर को रोके रखने की नीति का विरोध किया गया था। इस गलत परंपरा को विष्णु देव सरकार में दोहराया नहीं जाना चाहिए। कर्मचारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने आचार संहिता से पहले इस आदेश को संशोधित नहीं किया, तो चुनाव के बाद सड़कों पर उतरकर विरोध किया जाएगा।
चुनाव में भाजपा को समर्थन का मिला ऐसा सिला
कर्मचारी अपने आपको ठगे महसूस कर रहे है
कर्मचारियों का कहना है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा सरकार को समर्थन देकर सत्ता में लाने का श्रेय भी उन्हें जाता है, लेकिन डीए पर उनकी यह अनदेखी किसी ने अपेक्षित नहीं की थी। कर्मचारियों ने कहा कि “मोदी की गारंटी” के तहत जो वादा किया गया था, वह डीए के मामले में जुमला नहीं बनना चाहिए।

Author: Deepak Mittal
