जे के मिश्र / बिलासपुर – छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि अगर कोई व्यक्ति बैंक में जमा की गई राशि का उचित और स्पष्ट स्रोत नहीं बता पाता है, तो उस धनराशि को आयकर के दायरे में लाया जा सकता है। हाईकोर्ट ने आयकर अधिनियम की धारा 68 और 69ए का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि बैंक खाते में जमा की गई राशि की जानकारी और स्रोत का प्रमाण देना खाताधारक की जिम्मेदारी है।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद शामिल थे, ने अपने फैसले में कहा कि यदि खाताधारक बैंक में जमा राशि का सही स्रोत नहीं बता पाता है, तो इसे आयकर योग्य माना जा सकता है। याचिकाकर्ता दिनेश सिंह चौहान द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि उन्होंने अपने खाते में जमा की गई 11,44,070 रुपये की राशि के बारे में कोई स्पष्ट और सटीक जानकारी नहीं दी। उन्होंने इसे श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड की राशि बताते हुए कहा कि यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र में फाइनेंस के एवज में एकत्र की गई थी।
तीसरे पक्ष के धन का स्रोत बताना भी आवश्यक:
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि बैंक में जमा राशि किसी तीसरे पक्ष की होती है, तो भी उस धन के स्रोत की जानकारी देना अनिवार्य है। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि यह धनराशि श्रीराम ट्रांसपोर्ट कंपनी से संबंधित थी और उन्होंने इसे एकत्र करके बैंक में जमा किया था। लेकिन अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता इस संबंध में विश्वसनीय दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए, जिससे उनकी याचिका खारिज कर दी गई।
आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण का निर्णय बरकरार:
अदालत ने ट्रायल कोर्ट और आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले को भी सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ने पहले ही कहा था कि याचिकाकर्ता अपने बैंक खाते में जमा धनराशि के संबंध में ठोस सबूत नहीं दे सके।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला:
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का भी हवाला देते हुए कहा कि जब कोई बैंक खाते में जमा धन का स्रोत स्पष्ट नहीं कर पाता है, तो उस धनराशि को आय के रूप में माना जाएगा और आयकर के दायरे में लाया जाएगा। अदालत ने यह भी कहा कि यदि धन किसी तीसरे पक्ष का है, तो भी उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह उस धनराशि के स्रोत को साबित करे।
यह निर्णय आयकर विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल के रूप में कार्य करेगा और यह स्पष्ट करेगा कि किसी भी व्यक्ति के लिए बैंक में जमा की गई धनराशि का स्रोत साबित करना अनिवार्य है।
