भारत समेत दुनियाभर में महिलाएं जिस घातक बीमारी की चपेट में आ रही हैं, उनमें सर्वाइकल कैंसर तेजी से उभरकर सामने आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, यह दुनिया में महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय रहते इसके लक्षणों को पहचाना जाए, तो 90 फीसदी मामलों में इस कैंसर से बचाव संभव है। बढ़ती उम्र के साथ जोखिम बढ़ता है भारत में अक्सर महिलाएं 30 वर्ष की उम्र पार करने के बाद सर्वाइकल कैंसर की चपेट में आती हैं। दुर्भाग्यवश, इसके शुरुआती लक्षण – जैसे थकान, पीठ या पेल्विक दर्द, अनियमित पीरियड्स – को आमतौर पर उम्र या कमजोरी से जुड़ी समस्या मानकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। कैंसर की वजह बन सकता है HPV वायरस विशेषज्ञों के अनुसार, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) इस कैंसर का मुख्य कारण है।
यह एक यौन संचारित वायरस है, जो संक्रमित पार्टनर से फैलता है। हालांकि हर HPV संक्रमण कैंसर में नहीं बदलता, लेकिन कमजोर इम्यून सिस्टम के चलते यह सर्वाइकल सेल्स को नुकसान पहुंचा सकता है। वजाइना से बदबूदार डिस्चार्ज को न करें नजरअंदाज यदि महिला को लगातार गंधयुक्त डिस्चार्ज या असामान्य रक्तस्राव हो रहा है, तो इसे छिपाने के बजाय तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यह सर्वाइकल कैंसर का संकेत हो सकता है।
धूम्रपान से भी बढ़ता है खतरा रिसर्च बताती है कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं में इस कैंसर का खतरा अधिक होता है। तंबाकू का सेवन इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है, जिससे शरीर वायरस से लड़ नहीं पाता। सर्वाइकल कैंसर से बचाव कैसे करें? – HPV वैक्सीन: 9 से 14 साल की उम्र की लड़कियों को यह वैक्सीन अवश्य लगवानी चाहिए। इससे शरीर वायरस के खिलाफ सुरक्षा पाता है। – पैप स्मीयर टेस्ट: हर महिला को 30 की उम्र के बाद नियमित रूप से यह टेस्ट कराना चाहिए, जिससे शुरुआती संकेतों की पहचान की जा सके। – जीवनशैली में सुधार: धूम्रपान से दूरी, संतुलित आहार और सुरक्षित यौन संबंध इसके खतरे को कम कर सकते हैं। – सावधान रहें: यदि शरीर में लगातार थकावट, सेक्स के बाद ब्लीडिंग, या डिस्चार्ज जैसी समस्या हो तो इसे अनदेखा न करें और तुरंत जांच कराएं।
