मैं मांस-मछली बेचता हूं लेकिन खाता नहीं, क्या यह पाप है? प्रेमानंद महाराज ने दिया ये जवाब

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Premanand Maharaj ke Pravachan: धार्मिक प्रवचनों और सत्संग के माध्यम से प्रेमानंद महाराज हमेशा भक्तों की जिज्ञासाओं का समाधान करते हैं. उनके प्रवचन सोशल मीडिया पर भी खूब देखे जाते हैं.

हाल ही में एक भक्त ने उनसे ऐसा सवाल किया जो अक्सर मांस-मछली के व्यापार से जुड़े लोगों के मन में उठता है. जिसका प्रेमानंद महाराज ने बहुत ही सरल लेकिन गहराई से समझाते हुए जवाब दिया जिसे सुनने के बाद सभी भक्त जनों को एक नए ज्ञान की प्राप्ति हुई.

‘महाराज, मैं हर सुबह उठकर राधा नाम का जाप करता हूं लेकिन कभी-कभी मेरा मन अशांत हो जाता है. वजह यह है कि मेरा व्यापार मांस-मछली से जुड़ा हुआ है. मैं स्वयं मांस-मछली नहीं खाता, लेकिन बेचता हूं. क्या इससे भगवद प्राप्ति में बाधा आएगी?’

प्रेमानंद महाराज ने बेहद सरल शब्दों में समझाते हुए कहा कि यदि आपका व्यापार जीव हत्या से जुड़ा है तो उसका फल तो आपको भोगना ही पड़ेगा. सिर्फ यह कहना कि आप मांस-मछली खाते नहीं हैं, पर्याप्त नहीं है. उन्होंने कहा-
‘क्या संसार में केवल जीव हत्या का ही व्यापार बचा है? दूसरे काम भी तो किए जा सकते हैं.’

महाराज ने आगे कहा कि यदि किसी का जन्म ऐसे परिवार में हुआ हो जिसकी परंपरा में मांस-मछली का व्यापार रहा है, तो यह अच्छा है कि फिर भी उसके भीतर सत्संग और भजन की भावना जाग गई. यह भक्ति का प्रभाव है कि आपको अपने काम पर ही संदेह और बेचैनी हो रही है.

प्रेमानंद महाराज ने सलाह दी कि यदि संभव हो तो इस व्यापार को छोड़ देना चाहिए. उन्होंने कहा-
‘आप जो गलत कर रहे हैं, वही आपके मन को खा रहा है. यह भजन का ही असर है कि अब आपको यह असहनीय लग रहा है. जीव हत्या से जुड़े व्यापार से कभी शांति नहीं मिल सकती.’

अक्सर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि अगर व्यापार छोड़ दिया तो परिवार का पालन-पोषण कैसे होगा. इस पर महाराज ने समझाया कि’चिंता मत करो, भगवान ने 84 लाख योनियों का पालन-पोषण किया है, आपका भी कर देंगे.’

प्रेमानंद महाराज ने यह भी कहा कि यदि मौजूदा व्यापार से आपका मन दुखी है तो मजदूरी करके भी परिवार का पालन-पोषण कर सकते हैं. ‘हो सकता है कि चार दिन तक आपको कठिनाई झेलनी पड़े, लेकिन आपका मन शांत रहेगा. शांति ही असली सुख है.’

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Author: Deepak Mittal

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