निजी संस्थानों में रिजर्वेशन को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- सरकार नहीं तय कर सकती कोटा

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में गैर अनुदान प्राप्त अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कोटा नियम पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मैनेजमेंट और राज्य सरकार के बीच कोटा तय करने वाले नियम को अवैध बताया है। इस पूरे मामले की सुनवाई के जस्टिस रमेश सिंह और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच में हुई। मामले पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ आयुष स्नातक पाठ्यक्रम प्रवेश नियम के उपखंड (1) के खंड (घ) के उप-खंड (i) को नियमविरुद्ध ठहराया है।

वहीं इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा पीएम ईमानदार और छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट द्वारा डॉक्टर आदिति जैन के मामले में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कोटा तय करने के नियम को अल्ट्रा वायरस घोषित किया है। इसके अलावा कोर्ट ने गैर अनुदान प्राप्त अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों में बीएएमएस पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए नए नियम बनाने की आदेश दिए हैं। महावीर कॉलेज आॅफ आयुर्वैदिक साइंस राजनांदगांव समेत अन्य कॉलेज ने पिछले साल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसे बताया गया कि साल 2017 में स्थापित संस्था गैर सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थान है। कॉलेज में बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी की पाठ्यक्रम संचालित किया जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने सीजी आयुष स्नातक पाठ्यक्रम प्रवेश नियम 2023 के नियम 4 (1) (डी) (आई) के तहत अल्पसंख्यक संस्थानों में कोटा तय किया है।

50 फीसदी सीटों में राज्य के छात्रों को देना था प्रवेश 

बता दे कि केंद्र सरकार के ओरप्रवेश नियम, 2023 के नियम 4(1) (ए) के मुताबिक कल सीट में से 85 फ़ीसदी सीटों पर कोटा तय है। जिसमें 50 फ़ीसदी अल्पसंख्यक समाज यानि जैन समुदाय से भरी जानी है। बाकी 50% सीटें छत्तीसगढ़ राज्य के लिए तैयार की गई सामान्य मेरिट सूची से भरी जानी हैं। दायर याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार की तरफ से कोई भी सहयोग नहीं मिल रहा है। कोई सरकारी अस्पताल संबद्ध नहीं है। कुछ छात्रों को इंटर्नशिप के लिए राजनांदगांव के जिला अस्पताल भेजना किसी भी तरह से कॉलेज को अनुदान नहीं कहा जा सकता।

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Author: Deepak Mittal

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