निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111
सरगांव – मुंगेली जिले के सरगांव क्षेत्र में 11 अक्टूबर को हुई झमाझम बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। फसल कटाई के द्वार पर खड़ी धान की फसलें पानी में डूब गईं, पके दाने बिखर गए और कई एकड़ क्षेत्र में भारी तबाही मच गई। वर्षों की मेहनत पर पानी फिरते ही किसानों के चेहरे मुरझा गए, जबकि जलवायु परिवर्तन की मार अब बेमौसम वर्षा के रूप में साफ दिख रही है।
मौसम विभाग की चेतावनी सही साबित हुई, जब भारी बारिश और बिजली चमक के बीच बादल फट पड़े, जिससे न केवल धान, बल्कि सब्जी व अन्य फसलें भी प्रभावित हुईं। स्थानीय एक किसान ने दर्द भरी आवाज में कहा, “हमने रात-दिन एक कर दिया था, लेकिन यह आफत ने सब कुछ लील लिया।

अब तो त्योहारों का रंग भी फीका पड़ जाएगा।”क्षेत्र में धान की खेती किसानों की रीढ़ है, जो उनकी आजीविका का मुख्य आधार बनी हुई है। तेज वर्षा से खेतों में पानी भर गया, पौधे झुक गए और उपज में 30 प्रतिशत तक की कमी की आशंका जताई जा रही है। सरगांव के अलावा आसपास के गांवों में भी यही हाल है, जहां किसान अब फसल का आकलन कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी बेमौसम बारिशें जलवायु परिवर्तन का संकेत हैं, जो कृषि अर्थव्यवस्था को लगातार चुनौती दे रही हैं।
त्यौहारी बाजार पर गहरा असर

इस बारिश का असर न केवल खेतों तक सीमित रहेगा, बल्कि आगामी त्योहारों के बाजार पर भी छा जाएगा। दिवाली व छठ जैसे पर्वों से पहले धान उत्पादन में कमी से चावल, आटा व अन्य अनाज के दामों में उछाल की संभावना है।
स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि सब्जियों की फसलें भी बर्बाद होने से बाजार में आपूर्ति बाधित हो जाएगी, जिससे त्यौहारी खरीदारी महंगी साबित होगी। सरगांव के बाजार में पहले से ही मंदी के संकेत दिख रहे हैं, और किसानों की आय घटने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा।

किसानों की मांग: मुआवजा और सहायता
बारिश से हुई फसलों के नुकसान को लेकर किसानों का कहना है कि प्रशासन और शासन को पूर्व में ही संज्ञान लेने की आवश्यकता है, ताकि सही समय पर फसलों की हुई हानि का मुआवजा मिल सके और उनकी आजीविका सुचारू रूप से चल सके। छत्तीसगढ़ की किसान हितैषी सरकार से किसानों को आशा हैं की आफत की इस बारिश से हुई फसलों की बर्बादी और नुकसान का सरकार सर्वे उपरांत निश्चित ही मुआवजा के रूप में सहायता प्रदान करेगी।

Author: Deepak Mittal
