National Herald Case : नेशनल हेराल्ड केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने पर दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को अपना फैसला टाल दिया। कोर्ट आगामी 16 दिसंबर को इस बारे में अपना फैसला सुनाएगा।
ईडी की यह चार्जशीट मनीलॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ी है। इस चार्जशीट में कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन सहित अन्य नेताओं को आरोपी बनाया गया है। इससे पहले कोर्ट ने 29 नवंबर को आदेश सुनाने के लिए कहा था।
AJL से जुड़ी वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप
ईडी ने इन नेताओं पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से जुड़ी वित्तीय गड़बड़ियों का आरोप लगाया है। यह कंपनी ही असल में नेशनल हेराल्ड अखबार पब्लिश करती थी। कोर्ट ने 14 जुलाई को बहस पूरी होने के बाद फैसला 29 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रखा था। इसके बाद 8 अगस्त और 29 नवंबर को फैसला टला। अब कोर्ट 16 दिसंबर को फैसला सुनाएगी।
नेशनल हेराल्ड केस क्या है?
साल 1938 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना की। इस अखबार का मालिकाना हक एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL) के पास था जो हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज नाम से दो और अखबार छापती थी। 1956 में एजेएल को गैर व्यावसायिक कंपनी के तौर पर स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 से कर मुक्त कर दिया गया। कंपनी धीरे-धीरे घाटे में चली गई। कंपनी पर 90 करोड़ का कर्ज भी चढ़ गया। इसी बीच साल 2008 में वित्तीय संकट के बाद इसे बंद करना पड़ा, जहां से इस विवाद की शुरुआत हुई।
AJL के बाद बनाई गई नई कंपनी
साल 2010 में यंग इंडियन नाम से एक और कंपनी बनाई गई। जिसका 76 फीसदी शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी (38-38 फीसदी) के पास और बाकी का शेयर मोतीलाल बोरा और आस्कर फर्नांडिस के पास था। कांग्रेस पार्टी ने अपना 90 करोड़ का लोन नई कंपनी यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। लोन चुकाने में पूरी तरह असमर्थ द एसोसिएट जर्नल ने सारा शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिया। इसके बदले में यंग इंडियन ने महज 50 लाख रुपये द एसोसिएट जर्नल को दिए। इसी को लेकर बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक याचिका दायर कर आरोप लगाया कि यंग इंडियन प्राइवेट ने केवल 50 लाख रुपये में 90 करोड़ वसूलने का उपाय निकाला जो नियमों के खिलाफ है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने की शिकायत
सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर केस दर्ज होने के बाद अगले साल 19 दिसंबर 2015 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत अन्य आरोपियों को दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने नियमित जमानत दी। इसके अगले साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ कार्रवाई रद्द करने से इनकार कर दिया। हालांकि कोर्ट ने सभी आरोपियों को व्यक्तिगत पेशी से छूट प्रदान कर दी। इस फैसले के दो साल बाद 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी की आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी।
Author: Deepak Mittal









