कलेक्टर और अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट की अनदेखी परअवमानना हाईकोर्ट में याचिका दायर

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(जे के मिश्र ) बिलासपुर – लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने पुरानी सड़क को चौड़ा करने के बजाय एक नई सड़क बना दी। इस मुद्दे पर तत्कालीन कलेक्टर से शिकायत की गई थी, लेकिन उन्होंने इस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया।

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के कलेक्टर और अन्य अधिकारियों को हाई कोर्ट ने इस मामले में नोटिस जारी कर अतिक्रमण हटाने और सड़क निर्माण के मामले का समाधान करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने छह महीने के भीतर आदेश का पालन करने की मोहलत दी थी, लेकिन अधिकारियों ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब, हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी का हवाला देते हुए याचिकाकर्ता ने कलेक्टर, एसडीओ और तहसीलदार के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की है।

सड़क निर्माण में अतिक्रमण और विवाद

ग्राम अमरपुर में सड़क के लिए आरक्षित खसरा नंबर 48 और 54 पर आज भी ग्रामीणों का अवैध कब्जा बना हुआ है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि अधिकारियों ने अतिक्रमणकारियों को संरक्षण दिया और सड़क निर्माण के लिए आरक्षित भूमि के बजाय किसानों की निजी जमीन पर सड़क और नाली बना दी।

अतिक्रमणकारियों को संरक्षण देने का आरोप

स्थानीय निवासी मनीष पांडेय ने इस मामले में रिट याचिका दायर कर सड़क के लिए अधिग्रहित जमीन से अवैध कब्जाधारियों को हटाने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद कलेक्टर को निर्देशित किया था कि वह छह महीने के भीतर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करें।

एसडीएम की ओर से कार्रवाई पर रोक

याचिकाकर्ता का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद, अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) पेंड्रारोड ने खसरा नंबर 48 और 54 पर स्थित अवैध कब्जाधारियों को हटाने की प्रक्रिया को रोक दिया है। याचिकाकर्ता ने इसे न्यायालयीन आदेश की अवहेलना मानते हुए कलेक्टर, एसडीएम और एसडीओ पीडब्ल्यूडी के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की है।

शिक्षाकर्मी की बहाली का आदेश

जनपद पंचायत लोरमी के प्राथमिक विद्यालय रतियापारा में तैनात शिक्षाकर्मी सविता काटले को फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर बर्खास्त कर दिया गया था। इस मामले में हाई कोर्ट ने उन्हें पुनः बहाल करने का आदेश दिया है। सविता की नियुक्ति 2007 में हुई थी, लेकिन जाति प्रमाण पत्र की सत्यता पर सवाल उठाते हुए जनपद पंचायत ने उन्हें 2012 में बर्खास्त कर दिया था।

सविता ने इस फैसले के खिलाफ कलेक्टर और फिर संभाग आयुक्त के पास अपील की, लेकिन दोनों ने उनकी अपील खारिज कर दी। अंततः सविता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट ने यह तर्क मानते हुए कि बर्खास्तगी का अधिकार सीईओ के पास नहीं था और सुनवाई का उचित मौका भी नहीं दिया गया, सविता को शिक्षाकर्मी के पद पर बहाल करने का आदेश जारी किया है।

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Author: Deepak Mittal

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