तीन महीने से नहीं हो रही मीटर रीडिंग
निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111
सरगांव – सरगांव नगर के हजारों बिजली उपभोक्ता इन दिनों छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं। यहां के वितरण केंद्र द्वारा पिछले तीन महीनों से घरेलू विद्युत मीटरों की रीडिंग नहीं की जा रही है, जिससे उपभोक्ताओं को औसत खपत के आधार पर बिल भेजा जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, फरवरी माह की रीडिंग को आधार बनाकर मार्च और अप्रैल का औसत बिल जारी किया गया है। जबकि फरवरी सामान्यतः ठंड का महीना होता है, जब बिजली की खपत अपेक्षाकृत कम रहती है। इसके विपरीत मार्च व अप्रैल में गर्मी के बढ़ते प्रकोप के चलते पंखा, कूलर, वाटर पंप जैसे विद्युत उपकरणों का उपयोग बढ़ जाता है। ऐसे में खपत अधिक होती है, लेकिन औसत बिल में यह परिलक्षित नहीं हो रहा।
उपभोक्ताओं को चिंता है कि जब अगली बार मीटर रीडिंग की जाएगी, तब तीन माह की कुल खपत एक साथ जोड़ी जाएगी, जिससे बिल की यूनिट अधिक हो जाएगी। इससे सभी को उच्च टेरिफ स्लैब में जाना पड़ेगा, जिससे बिल की राशि में भी भारी वृद्धि होगी।
उल्लेखनीय है कि विद्युत वितरण कंपनी द्वारा उपभोक्ताओं के लिए स्लैब आधारित टेरिफ प्रणाली लागू है। जैसे-जैसे खपत बढ़ती है, वैसे-वैसे प्रति यूनिट दर भी बढ़ जाती है। इस स्थिति में जब लंबी अवधि की रीडिंग एक साथ जोड़ी जाएगी, तो उपभोक्ता अनावश्यक रूप से महंगे टेरिफ की चपेट में आ जाएंगे।
बिल सुधार कराने की कोशिश करने वाले उपभोक्ताओं को सरगांव वितरण केंद्र से संतोषजनक सहयोग नहीं मिल रहा है। मीटर रीडिंग लेकर बाबू केवल विवरण नोट कर लेते हैं, लेकिन उसके आधार पर बिल में कोई संशोधन नहीं किया जा रहा है।
इस संबंध में जब सरगांव वितरण केंद्र के कनिष्ठ अभियंता (JE) श्री मानिकपुरी से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि रीडिंग कर्मी की मृत्यु हो जाने के कारण असुविधा उत्पन्न हुई है। वर्तमान में नए रीडिंग एजेंट की नियुक्ति हेतु टेंडर प्रक्रिया जारी है।
हालांकि, उपभोक्ताओं को हो रही आर्थिक क्षति और मानसिक परेशानी पर अधिकारी कोई ठोस समाधान नहीं दे पाए हैं।
स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि विद्युत वितरण कंपनी इस गंभीर समस्या का शीघ्र समाधान करे। साथ ही जिन उपभोक्ताओं को औसत बिलिंग के चलते अतिरिक्त भुगतान करना पड़ सकता है, उन्हें राहत देने की नीति बनाई जाए। यदि शीघ्र सुधार नहीं हुआ, तो उपभोक्ताओं के आंदोलित होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
