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“रायपुर में सीएम साय ने निभाई परंपरा — गौशाला में गूंजे मंत्र, जब मुख्यमंत्री ने खुद गौमाता को खिलाई खिचड़ी!

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Deepak Mittal

रायपुर, 22 अक्टूबर 2025।
गोवर्धन पूजा के पावन अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास परिसर की गौशाला में पारंपरिक विधि-विधान से गौमाता की पूजा-अर्चना की। उन्होंने गौमाता को खिचड़ी खिलाकर गोसेवा की परंपरा निभाई और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली की मंगलकामना की।

पूजा के दौरान गौशाला में मंत्रोच्चारण, दीपों की रोशनी और श्रद्धा का माहौल बना रहा। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि गोवर्धन पूजा केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह प्रकृति, गौवंश और पर्यावरण के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक है। उन्होंने प्रदेशवासियों को इस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दीं।


गौसेवकों को मिठाई खिलाकर किया सम्मानित

पूजा-अर्चना के पश्चात मुख्यमंत्री ने गौशाला में सेवा कर रहे गौसेवकों को अपने हाथों से मिठाई खिलाकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि “गौसेवा केवल परंपरा नहीं, यह हमारी संस्कृति और संवेदनशीलता का प्रतीक है।”

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर गौशाला की व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया और वहां मौजूद गौसेवकों से संवाद किया। उन्हें बताया गया कि गौशाला में गौवंश की देखरेख की सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।


“गाय हमारी संस्कृति की आधारशिला है” — मुख्यमंत्री साय

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोवर्धन पूजा हमारे जीवन में प्रकृति, अन्न और पशुधन के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।

“गाय भारतीय संस्कृति की आधारशिला है, जो न केवल हमारे ग्रामीण जीवन से जुड़ी है, बल्कि हमारी अर्थव्यवस्था और आस्था दोनों का केंद्र भी है।”

उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ की मिट्टी में गोसेवा और प्रकृति पूजन की भावना गहराई से रची-बसी है।
मुख्यमंत्री साय ने कहा —

“गाय, अन्न और धरती का सम्मान करना उस मातृशक्ति को प्रणाम करना है, जिससे हमारा जीवन जुड़ा है। जब हम इन्हें नमन करते हैं, तब हम अपनी संस्कृति की जड़ों और समृद्धि के स्रोतों को स्पर्श करते हैं।”


गौसेवा को बनाया ग्रामीण विकास की धुरी

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ में गोसेवा को ग्रामीण विकास की धुरी के रूप में आगे बढ़ा रही है।
गौमाता केवल आस्था नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और स्थायी विकास का प्रतीक हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास परिसर श्रद्धा, भक्ति और सांस्कृतिक गौरव के वातावरण में सराबोर रहा।

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Author: Deepak Mittal

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