शिक्षा, इलाज और आवास की जिम्मेदारी उठाकर मुख्यमंत्री ने दिखाई मानवीय संवेदना
लखनऊ/कानपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात ने कानपुर की 20 वर्षीय मूक-बधिर खुशी गुप्ता और उसके परिवार के जीवन में ऐसा अध्याय जोड़ दिया, जिसे वे कभी भूल नहीं पाएंगे। मुख्यमंत्री आवास पर हुई यह मुलाकात किसी औपचारिकता से बढ़कर मानवीय संवेदना, करुणा और जिम्मेदारी का अद्भुत उदाहरण बन गई।
चित्र लेकर मुख्यमंत्री के पास पहुंची ‘खुशी’
कानपुर के ग्वालटोली अहरानी की रहने वाली खुशी 26 नवंबर को अपने परिवार के साथ मुख्यमंत्री आवास पहुंची। खुशी अपने हाथों से बनाए गए चित्र लेकर आई थी, जिनमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भावपूर्ण पोर्ट्रेट शामिल थे। योगी आदित्यनाथ ने चित्रों को बड़े ध्यान से देखा और खुशी को स्नेहपूर्वक अपने पास बुलाया। परिवार के लिए यह पल भावनाओं से भरा हुआ था।
22 नवंबर की घटना: पैदल लखनऊ पहुँच गई थी खुशी
खुशी को चित्र बनाना बेहद पसंद है। 22 नवंबर को वह बिना बताए घर से अकेली निकल पड़ी। उसका उद्देश्य सिर्फ एक था — अपने बनाए चित्र मुख्यमंत्री को देना।
पढ़ी-लिखी न होने के बावजूद खुशी अपने पिता का नाम, मोबाइल नंबर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लिख लेती है। किसी तरह वह कानपुर से लखनऊ पहुँची, लेकिन लोकभवन के बाहर रास्ता भटक गई। वहां बैठकर रो रही खुशी को पुलिस ने संभाला और परिवार को जानकारी दी। घर से उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर चुके परिवार को बेटी के सुरक्षित मिलने पर राहत मिली।
मुख्यमंत्री ने दिखाई संवेदना, उठाई शिक्षा-आवास की जिम्मेदारी
जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खुशी की कहानी का पता चला, तो उन्होंने तत्काल परिवार को अपने आवास बुलाया। योगी आदित्यनाथ ने खुशी के लिए कई महत्वपूर्ण सहायता की घोषणा की—
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कानपुर स्थित मूक-बधिर कॉलेज में शिक्षा की व्यवस्था
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पढ़ाई और स्किल डेवलपमेंट के लिए मोबाइल व टैबलेट उपलब्ध कराया
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राज्य सरकार द्वारा कान का इलाज कराने की तैयारी
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परिवार के लिए आवास की व्यवस्था का आश्वासन
सरकारी सहायता और मुख्यमंत्री की संवेदना से परिवार खुशी से भर गया।
एक मिसाल बन गई मानवीयता
इस पूरी घटना का केंद्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वह करुणा रही, जिसने एक संघर्षरत परिवार को सम्मान, सुरक्षा और भविष्य की नई दिशा दी। इस मुलाकात ने यह स्पष्ट कर दिया कि शासन सिर्फ प्रशासन नहीं बल्कि संवेदना और मानवीयता का आधार भी है।
खुशी का समर्पण और मुख्यमंत्री का स्नेह—दोनों ने मिलकर यह संदेश दिया कि प्यार, सम्मान और संवेदना किसी भी बाधा से बड़ी होती है। यह कहानी लंबे समय तक संवेदनशील प्रशासन की मिसाल के रूप में याद की जाएगी।
Author: Deepak Mittal









