रायपुर।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बुधवार को रायपुर स्थित दीन दयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित “संविधान हत्या दिवस” कार्यक्रम में भाग लिया। यह आयोजन 25 जून 1975 को देश में थोपे गए आपातकाल की 50वीं बरसी के उपलक्ष्य में किया गया था, जिसे भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है।
मुख्यमंत्री का संबोधन – “यह संविधान और अधिकारों की हत्या थी”
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा,
“25 जून 1975 का आपातकाल केवल संवैधानिक व्यवस्था पर आघात नहीं था, बल्कि यह जनता के मौलिक अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की निर्मम हत्या थी। उस दौर ने भारतीय लोकतंत्र की नींव को हिला दिया।”
उन्होंने कहा कि उस समय विचारों की स्वतंत्रता, प्रेस की आज़ादी और न्यायपालिका की निष्पक्षता जैसे स्तंभों को कुचला गया।
“आज जब हम इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में स्मरण करते हैं, तो हमारा उद्देश्य है कि नई पीढ़ी लोकतंत्र की कीमत और जिम्मेदारी को समझे,” मुख्यमंत्री ने जोड़ा।
लोकतंत्र सेनानियों को किया गया नमन
मुख्यमंत्री साय ने कार्यक्रम के दौरान आपातकाल में संघर्ष करने वाले लोकतंत्र रक्षकों को नमन किया और कहा कि उनके साहस और प्रतिबद्धता से ही आज हम एक मजबूत लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में खड़े हैं।
“ऐसी त्रासदी दोबारा न हो, इसके लिए हमें सतर्क रहना होगा,” उन्होंने कहा।
वृत्तचित्र और प्रदर्शनी ने दिखाया वह काला दौर
कार्यक्रम के दौरान 1975 के आपातकाल की पृष्ठभूमि, प्रभाव और विरोध आंदोलनों पर आधारित वृत्तचित्र और विशेष प्रदर्शनी भी प्रस्तुत की गई। इसमें उस दौर की अखबारों की कटिंग्स, विरोध रैलियों की तस्वीरें और ऐतिहासिक दस्तावेजों को शामिल किया गया था, जिससे उपस्थित छात्र, युवा, पत्रकार और बुद्धिजीवी वर्ग को उस कालखंड की भयावहता का अनुभव हो सका।
