छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के 6 विश्वविद्यालयों के साथ किया एमओयू

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देश का पहला पाठ्यक्रम: छात्रों को मिलेगी बाल अधिकार एवं संरक्षण की जानकारी

रायपुर : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की उपस्थिति में राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग और प्रदेश के छह विश्वविद्यालयों के मध्य “रक्षक पाठ्यक्रम” के लिए एमओयू संपन्न हुआ। बाल अधिकार एवं संरक्षण पर आधारित यह पाठ्यक्रम देश में अपनी तरह का पहला शैक्षणिक नवाचार है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि रक्षक पाठ्यक्रम छात्रों के सुरक्षित और जिम्मेदार भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह पाठ्यक्रम युवाओं को रोजगार के अवसरों के साथ-साथ बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में आवश्यक विशेषज्ञता प्रदान करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कई बार बच्चे भूलवश गलत दिशा में चले जाते हैं, ऐसे बच्चों को सही मार्ग पर लाना समाज का सामूहिक दायित्व है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी के अधिकांश वादों को पूरा किया है। किसानों के बकाया बोनस, महिलाओं के लिए महतारी वंदन योजना और सबके लिए आवास जैसे संकल्प साकार हुए हैं। साथ ही 350 से अधिक प्रशासनिक सुधार लागू करने के बाद छत्तीसगढ़ सुशासन के मार्ग पर तेजी से अग्रसर है। इसी उद्देश्य से सुशासन एवं अभिसरण विभाग की स्थापना भी की गई है।

मुख्यमंत्री ने रक्षक पाठ्यक्रम को रिकॉर्ड समय में तैयार करने और विश्वविद्यालयों में लागू करने के लिए आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा और उनकी टीम को बधाई दी।

महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े ने कहा कि बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में व्यापक प्रयासों की आवश्यकता है। बच्चों से भिक्षावृत्ति कराना, परित्यक्त बच्चों का पुनर्वास और संवेदनशील मामलों का समाधान अत्यंत चुनौतीपूर्ण विषय हैं। उन्होंने कहा कि यह पाठ्यक्रम संवेदनशील, सजग और सेवा-भावयुक्त युवा तैयार करने में मील का पत्थर साबित होगा।

उच्च शिक्षा मंत्री टंक राम वर्मा ने इसे ऐतिहासिक पाठ्यक्रम बताते हुए कहा कि यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है।

एक वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम – “पीजी डिप्लोमा इन चाइल्ड राइट्स एंड प्रोटेक्शन”

यह पाठ्यक्रम निम्न विश्वविद्यालयों में प्रारंभ होगा:

पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर

संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय, सरगुजा

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर

आंजनेय विश्वविद्यालय, रायपुर

एमिटी विश्वविद्यालय, रायपुर

श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई-दुर्ग

अब तक प्रदेश के किसी भी विश्वविद्यालय में ऐसा पाठ्यक्रम उपलब्ध नहीं था जो युवाओं को बाल अधिकार संरक्षण के क्षेत्र में प्रशिक्षित कर रोजगार के अवसर प्रदान करे। इस आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आयोग ने “रक्षक – बाल अधिकार संरक्षण पर एक वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम” विकसित किया है।

इस पाठ्यक्रम से युवाओं को—

सैद्धांतिक एवं विधिक ज्ञान

विभागीय योजनाओं और संस्थाओं की समझ

प्रायोगिक प्रक्रियाओं और बाल संरक्षण इकाइयों का ज्ञान

जागरूकता, संवेदनशीलता और बाल-अधिकारों की आत्मिक समझ

प्राप्त होगी। यह पाठ्यक्रम छात्रों को इस क्षेत्र में कुशल, समर्पित और प्रभावी मानव संसाधन के रूप में तैयार करेगा।

आयोग द्वारा संचालन, प्रशिक्षण, परामर्श और मार्गदर्शन की संपूर्ण सुविधा विश्वविद्यालयों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी।

कार्यक्रम में आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से कुलसचिव प्रो. शैलेंद्र पटेल, प्रो. ए. के. श्रीवास्तव, संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा के कुलपति प्रो. राजेंद्र लाकपाले, कुलसचिव शारदा प्रसाद त्रिपाठी, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति एवं रायपुर संभाग आयुक्त महादेव कावरे, कुलसचिव सुनील कुमार शर्मा, आंजनेय विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. टी. रामाराव, कुलसचिव डॉ. रूपाली चौधरी, एमिटी विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डॉ. पीयूष कांत पाण्डेय, कुलसचिव डॉ. सुरेश ध्यानी, श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी भिलाई-दुर्ग के चांसलर डॉ. आई.पी. मिश्रा, कुलपति डॉ. ए. के. झा, डॉ. जया मिश्रा, आयोग के सचिव प्रतीक खरे सहित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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Author: Deepak Mittal

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