रक्तदोष: जब खून बन जाए बीमारियों की जड़, आयुर्वेद से जानें आसान उपाय

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खून की शुद्धता से जुड़े स्वास्थ्य और त्वचा संबंधी लाभ

नई दिल्ली। आयुर्वेद के अनुसार खून सिर्फ शरीर का द्रव नहीं, बल्कि जीवन, ऊर्जा और तेज का स्रोत है। जब खून में अशुद्धि या दोष बढ़ जाता है—जैसे वात, पित्त या कफ—तो इसे रक्तदोष कहा जाता है। रक्तदोष के कारण शरीर में मुंहासे, खुजली, बालों का झड़ना, थकान, जोड़ों का दर्द, और यहां तक कि लिवर और किडनी की समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।

रक्तदोष होने के मुख्य कारण हैं:

  • ज्यादा मसालेदार, तला-भुना या पैकेट वाला भोजन

  • कब्ज, नींद की कमी, तनाव

  • दवाओं का अत्यधिक सेवन, शराब, हार्मोनल असंतुलन या संक्रमण

आयुर्वेद में खून को शुद्ध रखने के लिए कई घरेलू और प्राकृतिक उपाय सुझाए गए हैं:

  1. नीम की पत्तियां या काढ़ा – रोज सुबह खाली पेट खाएं।

  2. मंजीष्ठा – चूर्ण को दूध या गुनगुने पानी के साथ लें, त्वचा रोग और पिंपल्स में राहत।

  3. त्रिफला चूर्ण – पाचन सुधारता है और शरीर से टॉक्सिन निकालता है।

  4. लहसुन और गिलोय – रोज 2 कच्ची लहसुन की कलियां और गिलोय का रस लेने से इम्युनिटी बढ़ती है।

  5. चुकंदर और गाजर का जूस – हीमोग्लोबिन बढ़ाता है और शरीर को डिटॉक्स करता है।

  6. नींबू-शहद वाला पानी – सुबह खाली पेट पीने से लिवर साफ रहता है और शरीर हल्का महसूस होता है।

सिर्फ दवाओं पर निर्भर न होकर जीवनशैली में सुधार करना भी जरूरी है:

  • रोज गुनगुना पानी पीएं

  • सादा और पोषक भोजन करें, चीनी और मैदे से बचें

  • थोड़ा व्यायाम और प्राणायाम (विशेषकर कपालभाति और अनुलोम-विलोम) करें

  • पूरी नींद लें और तनाव से दूर रहें

इन उपायों से शरीर का रक्त शुद्ध रहता है, त्वचा स्वस्थ, इम्युनिटी मजबूत और जीवन में ऊर्जा बनी रहती है।

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Author: Deepak Mittal

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