रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में एक बार फिर बड़ा मोड़ आया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की जमानत याचिका अदालत ने खारिज कर दी है। फिलहाल वे 13 अक्टूबर तक न्यायिक रिमांड पर रहेंगे।
EOW की जांच में खुलासों से मचा हड़कंप
आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) के अधिकारियों ने बताया कि रिमांड के दौरान चैतन्य बघेल से कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में शराब घोटाले के दायरे में और बड़े नाम सामने आने की संभावना है।
16.70 करोड़ के लेनदेन पर ED का दावा
प्रवर्तन निदेशालय (ED) का आरोप है कि चैतन्य बघेल को शराब घोटाले से कुल 16.70 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। इन अवैध पैसों को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में निवेश कर वैध दिखाने की कोशिश की गई।
जांच में सामने आया कि ‘विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स)’ में 13 से 15 करोड़ रुपए निवेश किए गए, जबकि दस्तावेजों में केवल 7.14 करोड़ रुपए दर्शाए गए।
कागजों में नहीं दिखाए गए करोड़ों के लेनदेन
ED के अनुसार, कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ रुपए नकद दिए, जिसे रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया गया।
इसके अलावा, त्रिलोक सिंह ढिल्लो नामक व्यक्ति ने 19 फ्लैट्स के लिए 5 करोड़ रुपए बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किए। फ्लैट्स उनके कर्मचारियों के नाम पर खरीदे गए, लेकिन भुगतान ढिल्लो ने खुद किया। जांच एजेंसी का मानना है कि यह पूरा लेनदेन ब्लैक मनी को वैध बनाने की पूर्व-योजना का हिस्सा था।
ज्वेलर्स के माध्यम से हुआ कैश फ्लो
भिलाई के एक ज्वेलर्स ने बघेल की कंपनियों को 5 करोड़ रुपए का कथित लोन दिया। बाद में, उसी ज्वेलर्स ने कंपनी से 6 प्लॉट खरीदे, जिनकी वास्तविक कीमत केवल 80 लाख रुपए थी।
ED का दावा है कि यह पूरा सौदा शराब घोटाले से जुड़ी काली कमाई को छिपाने का तरीका था।
EOW की जांच में बढ़ी हलचल
EOW अधिकारियों ने बताया कि अब जांच का फोकस इस बात पर है कि काली कमाई की पूरी चैन कहां तक फैली है और इसमें कौन-कौन से प्रभावशाली लोग शामिल हैं। एजेंसी ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही कई और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

Author: Deepak Mittal
