जगदलपुर। मणिपुर के विष्णुपुर जिले में हुए उग्रवादी हमले ने छत्तीसगढ़ के बस्तर को गहरे शोक में डुबो दिया। इस हमले में बस्तर का सपूत रंजीत सिंह कश्यप शहीद हो गया। आज उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपटा हुआ जब गृहग्राम बालेंगा पहुँचा, तो पूरा गांव आंसुओं और नारों में डूब गया।
अंतिम यात्रा के दौरान हर गली-चौराहे पर गूंज रहा था—
“शहीद रंजीत अमर रहे…!”
हर आंख नम थी और हर दिल गर्व व गम के मिले-जुले जज़्बात से भरा हुआ था।
श्रद्धांजलि देने वालों में मंत्री केदार कश्यप, स्थानीय विधायक लखेश्वर बघेल, कलेक्टर हरीश एस और एसपी शलभ सिन्हा सहित प्रशासन और जनप्रतिनिधि शामिल रहे।
19 सितंबर को हुए इस हमले में असम राइफल्स के काफिले पर घात लगाकर हमला किया गया था। 2016 में असम राइफल्स से जुड़े रंजीत ने उसी हमले में देश की रक्षा करते हुए प्राणों की आहुति दी। वे अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। परिवार में उनकी पत्नी और तीन बेटियां हैं, जिनमें से सबसे छोटी बेटी अभी केवल चार महीने की मासूम है।
गांव के लोगों ने बताया कि रंजीत बचपन से ही मिलनसार और मददगार थे। देश सेवा का जज़्बा उनमें हमेशा से था। पिछले महीने ही वे घर आए थे। उन्होंने पत्नी से वादा किया था कि अगली बार लंबी छुट्टी लेकर आएंगे और बेटी का नामकरण करेंगे… लेकिन लौटे भी तो तिरंगे में लिपटे हुए।
अब गांव के दिलों में गूंजता है सिर्फ एक सवाल—
क्या देश सेवा का जज़्बा हर बार ऐसे ही इकलौते बेटों की शहादत मांगता रहेगा?

Author: Deepak Mittal
