बिलासपुर के सेंट बैंक के अधिकारी पर वसूली का आरोप, ग्राहकों को धमकी देने का ऑडियो वायरल

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जे के मिश्र जिला ब्यूरो चीफ नवभारत टाइम्स 24*7 in बिलासपुर

बिलासपुर। शहर में सेंट बैंक के अधिकारी ग्राहकों से वसूली के नाम पर दबाव और धमकी देने के आरोपों में घिर गए हैं। ग्राहकों की शिकायत है कि बैंक अधिकारी गुंडागर्दी पर उतर आए हैं और ईएमआई न चुकाने पर डराने-धमकाने तक की कार्रवाई कर रहे हैं। इस संबंध में बैंक के अधिकारियों के धमकी भरे फोन कॉल्स के ऑडियो भी वायरल हो रहे हैं, जिसमें अधिकारियों द्वारा ग्राहकों से अभद्र भाषा का उपयोग किया गया है।

सेंट बैंक से हाउसिंग लोन लेने वाले अभिजीत पॉल ने सिविल लाइन थाना में इसकी शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया। अभिजीत पॉल ने बताया कि उन्होंने अपनी ईएमआई समय पर जमा की है, लेकिन बैंक के अधिकारी लगातार फोन कर उन्हें धमका रहे हैं। शिकायत में बैंक के मैनेजर अपर्णा दास, नितिन निगम और आरएम रोहित असरानी के नाम शामिल हैं, जिन्होंने कथित तौर पर पॉल को 15 मिनट के भीतर भुगतान करने की धमकी दी और ऐसा न करने पर उनके घर के बाहर हंगामा करने की चेतावनी दी।

वायरल ऑडियो में यह भी सुना गया कि बैंक अधिकारी ग्राहकों को अपमानित करने वाली भाषा का प्रयोग कर रहे हैं। एक अधिकारी ने कहा, “मैडम, घर पर तीन टाइम का खाना खाती हैं या नहीं? बैंक का पैसा खा रही हैं?” इतना ही नहीं, ग्राहकों को चेतावनी दी गई कि यदि वे निर्धारित समय के भीतर भुगतान नहीं करते हैं, तो उनके घर के बाहर बैंक स्टाफ इकट्ठा होकर तमाशा करेगा।

ग्राहक अभिजीत पॉल का कहना है कि वे समय-समय पर अपनी ईएमआई जमा कर रहे हैं, फिर भी बैंक अधिकारी अनुचित तरीके से उन्हें परेशान कर रहे हैं। बैंक अधिकारियों द्वारा धमकी दी गई कि अगर तुरंत भुगतान नहीं किया गया, तो मकान पर कब्जा कर उसे बेच दिया जाएगा। इस मामले में बैंक अधिकारी ओवरड्यू के नाम पर अतिरिक्त ईएमआई वसूलने की कोशिश भी कर रहे हैं।

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब पीड़ित ने पुलिस से शिकायत करने की कोशिश की, तो थाना सिविल लाइन पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया। पीड़ित का कहना है कि वे बैंक की इस हरकत से डरे हुए हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं।

सेंट बैंक की इस कार्रवाई ने ग्राहकों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और नैतिकता बनाए रखने के लिए नियामक एजेंसियों को इस मामले की जांच करनी चाहिए।

अब देखना होगा कि क्या प्रशासन इस मामले पर कोई ठोस कदम उठाता है या ग्राहक इसी तरह धमकियों का शिकार होते रहेंगे।

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