स्वपना माधवानी : गुण्डरदेही : विकासखंड मुख्यालय और आसपास के इलाकों में प्रतिबंधित अर्जुन (कहुआ) पेड़ों की अवैध कटाई का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। लकड़ी तस्कर बेखौफ होकर इन पेड़ों की कटाई कर, आरा मिलों में खपाने के साथ परिवहन कर रहे हैं। प्रशासन और वन विभाग की निष्क्रियता ने लकड़ी माफिया को पूरी तरह सक्रिय बना दिया है।
ज्ञात हो कि अर्जुन (कहुआ) पेड़ को शासन ने औषधीय पेड़ घोषित किया है। इसकी कटाई, बिक्री और परिवहन के लिए कलेक्टर की अनुमति अनिवार्य है। बावजूद इसके, मुख्यालय के आसपास प्रतिबंधित पेड़ों की कटाई और बिना ट्रांजिट पास के परिवहन खुलेआम किया जा रहा है। कहुआ की इमारती लकड़ी बाजार में बेहद महंगी बिकती है। चिकनी, लंबी और मजबूत संरचना के कारण इसकी लकड़ी से मनचाहे फर्नीचर बनाए जाते हैं।
गुण्डरदेही वन मंडल के अंतर्गत विकासखंड के कई गांवों में तस्करों के एजेंट सक्रिय हैं। यहां बड़ी मात्रा में कहुआ और अन्य दुर्लभ प्रजातियों जैसे महुआ, आम, इमली, बरगद, परसा, और नीम की अवैध कटाई हो रही है। लकड़ी माफिया न केवल तस्करी कर रहे हैं बल्कि किसानों से लकड़ी खरीदकर उसका स्टॉक भी कर रहे हैं।
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अवैध पेड़ कटाई के कारण पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है। वर्षों से चल रही इस कटाई ने प्राकृतिक संतुलन को बुरी तरह प्रभावित किया है। मौसम चक्र असंतुलित हो गया है, और वन क्षेत्र लगातार घट रहा है। विकास परियोजनाओं, आवासीय जरूरतों, उद्योगों और खनिज दोहन के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन गई है।
क्षेत्र में हो रही अवैध कटाई को लेकर वन विभाग पर भी गंभीर आरोप लग रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि विभाग के अधिकारी ठेकेदारों से अवैध वसूली करते हैं। पत्रकारों द्वारा फोन करने पर वन विभाग के अधिकारी सुरेश जैन ने फोन काट दिया। साथ ही, गाड़ियों को पकड़ने के लिए समय पर पहुंचने की बजाय सूचना पहले से ठेकेदारों तक पहुंचा दी जाती है, जिससे तस्करों को आसानी से बच निकलने का मौका मिल जाता है।
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