नई दिल्ली। बेंगलुरु के इंजीनियर अतुल सुभाष के आत्महत्या मामले में अब उनकी मां ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। मां ने अपने चार वर्षीय पोते की कस्टडी के लिए केस किया है।
बता दें कि सुभाष ने अपनी पत्नी और ससुराल वालों पर उत्पीड़न और झूठे आरोप लगाने वाले वीडियो और लिखित नोट छोड़े हैं।
बच्चे की नहीं है जानकारी
अंजू मोदी ने अपने पोते की कस्टडी सुरक्षित करने के लिए याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि न तो सुभाष की अलग रह रही पत्नी निकिता सिंघानिया और न ही उनके परिवार के सदस्यों ने बच्चे के ठिकाने का खुलासा किया है।
निकिता ने कथित तौर पर पुलिस को बताया कि लड़का फरीदाबाद के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रहा है और उसके चाचा सुशील सिंघानिया की कस्टडी में है। हालांकि, सुशील ने बच्चे के स्थान के बारे में किसी भी जानकारी से इनकार किया है।
7 जनवरी को होनी है सुनवाई
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक सरकारों को स्थिति स्पष्ट करने के लिए नोटिस जारी किए हैं। अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।
सुभाष की आत्महत्या के मामले में कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
पत्नी निकिता की हो चुकी है गिरफ्तारी
निकिता सिंघानिया को उनकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया के साथ 16 दिसंबर को गिरफ्तार किया गया था। कर्नाटक पुलिस ने सुभाष द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट और वीडियो के सबूतों का हवाला देते हुए तीनों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया। वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
याचिका के अनुसार, अंजू मोदी का कहना है कि सिंघानिया परिवार ने बच्चे को खोजने के प्रयासों में बाधा डाली है। सुभाष के पिता पवन कुमार ने भी सार्वजनिक रूप से बच्चे की कस्टडी की मांग की है।
सिंघानिया परिवार कर रहा विरोध
हालांकि, सिंघानिया परिवार इसका विरोध कर रहा है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वरिष्ठ वकील मनीष तिवारी ने निकिता के चाचा सुशील सिंघानिया के लिए अग्रिम ज़मानत की पैरवी की। अपील में उनकी बढ़ती उम्र (69) और पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों का हवाला देते हुए कहा गया कि उकसावे के आरोपों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया और यह उत्पीड़न का मामला है।
न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने सुशील को 50,000 रुपये के निजी मुचलके, पुलिस पूछताछ के लिए अनिवार्य उपलब्धता और पासपोर्ट जमा करने सहित सख्त शर्तों के साथ गिरफ्तारी से पहले जमानत दे दी।