जे के मिश्र
जिला ब्यूरो चीफ
नवभारत टाइम्स 24*7in बिलासपुर
बिलासपुर : क्षेत्र के सकेरी गांव में बीते दिनों एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई जब लकड़ी बीनने जंगल गए उमाशंकर साहू (उम्र 50) पर एक बाघ ने हमला कर दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। यह हादसा जितना त्रासदीपूर्ण था, उतना ही अमानवीय दृश्य तब देखने को मिला जब मृतक के शव को थाने से अस्पताल ले जाने के लिए परिजनों को कोई वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया।
बताया गया कि उमाशंकर लकड़ी लाने जंगल गया था, लेकिन रातभर घर नहीं लौटा। अगली सुबह जब परिजन उसकी तलाश में जोगीपुर के सीमावर्ती झरना इलाके में पहुंचे तो वहां उन्हें उसका क्षत-विक्षत शव मिला। आशंका जताई जा रही है कि जंगली बाघ ने उस पर हमला किया। सूचना पर वन विभाग और पुलिस मौके पर पहुंची, पंचनामा पश्चात शव को परिजनों को सौंपा गया।
हालात तब और बिगड़े जब परिजन शव को पोस्टमार्टम के लिए तखतपुर अस्पताल ले जाना चाह रहे थे, लेकिन जुनापारा चौकी प्रभारी मनोज शर्मा ने वाहन उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया। इससे गुस्साए परिजन शव को बोरी में भरकर हाथ ठेले से लगभग 20 किलोमीटर दूर अस्पताल तक ले गए। इस घटना ने पुलिस की संवेदनशीलता और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मामले पर नाराजगी जताते हुए नगर कांग्रेस अध्यक्ष बिहारी देवांगन ने इसे शासन की नाकामी करार दिया और कहा कि संवेदनशीलता पूरी तरह खत्म हो चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार वाहवाही लूटने में व्यस्त है, जबकि आम जनता बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही है।
उल्लेखनीय है कि इसी क्षेत्र के कटमुड़ा गांव में भी दो माह पूर्व एक ग्रामीण की शेर के हमले में जान गई थी। बावजूद इसके वन विभाग की निगरानी में कोई सुधार नहीं आया है। ग्रामीणों का आरोप है कि शेर द्वारा बार-बार हमले की आशंका के बावजूद प्रशासन ने पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं किए हैं।
थाना प्रभारी तखतपुर देश राठौर ने सफाई दी कि वाहन तकनीकी खराबी के चलते उपलब्ध नहीं कराया जा सका। हालांकि यह सफाई शोक संतप्त परिजनों के आक्रोश को शांत नहीं कर सकी।
इस हादसे ने एक बार फिर दर्शाया कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग किस हद तक प्रशासनिक उपेक्षा और अव्यवस्था का सामना कर रहे हैं। पूरे क्षेत्र में शोक और आक्रोश का माहौल है।
