अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर बड़ा खुलासा: धमाके वाले दिन से कई डॉक्टर गायब, लैब से कैमिकल चोरी और संदिग्ध नेटवर्क की पड़ताल तेज

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

फरीदाबाद। लाल किले के पास हुए कार धमाके की जांच में फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी लगातार गहरे शक के घेरे में आ रही है। जांच एजेंसियों ने अब विश्वविद्यालय से जुड़े कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं, जिससे साफ संकेत मिलता है कि इस मॉड्यूल में केवल कुछ व्यक्तियों ही नहीं, बल्कि एक संगठित नेटवर्क सक्रिय था।

धमाके वाले दिन से कई डॉक्टर गायब, फैकल्टी अंडरग्राउंड

सूत्रों के अनुसार धमाके वाले दिन ही विश्वविद्यालय के कई डॉक्टर अचानक गायब हो गए।
10 नवंबर की रात से ही कई फैकल्टी सदस्यों का अंडरग्राउंड होना, क्लास और ड्यूटी छोड़कर फरार होना एजेंसियों की शंका को और गहरा रहा है।

  • कई डॉक्टर अचानक यूनिवर्सिटी छोड़कर चले गए

  • अपने मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर दिए

  • सोशल मीडिया अकाउंट—फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स—डिएक्टिवेट कर दिए

इस तरह की गतिविधियों ने सुरक्षा एजेंसियों को अल फलाह यूनिवर्सिटी के अंदर मौजूद संभावित “स्लीपर मॉड्यूल” पर फोकस बढ़ा दिया है।

बैंक खाते फ्रीज, फंड ट्रेल और कॉल लॉग की जांच तेज

कई संदिग्ध फैकल्टी और स्टाफ के 2 लाख रुपये से अधिक वाले बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए हैं।
एजेंसियां अब—

  • फंड ट्रांजैक्शन

  • कॉल लॉग

  • मैसेज व चैट हिस्ट्री

  • डिजिटल ट्रेल

की तेजी से जांच कर रही हैं ताकि पूरे नेटवर्क की फंडिंग का पता लगाया जा सके।

लैब से चोरी हुए कैमिकल: मेडिकल पढ़ाई के नाम पर बड़ा खेल

जांच में सामने आया है कि गिरफ्तार डॉक्टर—मुजम्मिल, उमर और शाइन—स्टूडेंट प्रोजेक्ट्स के नाम पर विश्वविद्यालय की लैब से कैमिकल्स चोरी करते थे।

लैब रिकॉर्ड में भारी गड़बड़ी मिली:

  • बड़े पैमाने पर ग्लासवेयर (कांच का सामान) गायब

  • लैब में इस्तेमाल होने वाली केमिकल टेस्टिंग किट रिकॉर्ड से मैच नहीं हुई

  • अमोनियम नाइट्रेट सहित कई कैमिकल अनुपस्थित

  • बाहर ले जाते समय किसी भी सामान की एंट्री नहीं मिली

  • कैमिकल्स छोटी-छोटी मात्रा में बैग और गाड़ियों की डिग्गी में छिपाकर बाहर ले जाए जाते थे

ये कैमिकल वही हैं जिनका इस्तेमाल विस्फोटक बनाने में किया जा सकता है।

NIA की पूछताछ: कौन तय करता था कौन-सा कैमिकल कब निकालना है?

एनआईए अब गिरफ्तार आतंकियों से यह जानने में जुटी है:

  • लैब से कैमिकल निकालने का निर्देश कौन देता था?

  • कौन तय करता था कि किस प्रोजेक्ट के बहाने कौन-सा कैमिकल बाहर ले जाना है?

  • क्या विदेशी हैंडलर्स बम तैयार करने के लिए विशेष कैमिकल की मात्रा और मिश्रण बताते थे?

  • क्या यूनिवर्सिटी के अंदर किसी बड़े नेटवर्क का संचालन हो रहा था?

पूरे मॉड्यूल के उजागर होने की संभावना

जांच एजेंसियों का मानना है कि—

  • लैब रिकॉर्ड में गड़बड़ी

  • डॉक्टरों के अचानक गायब होने

  • सोशल मीडिया डिएक्टिवेशन

  • कैमिकल चोरी

  • बैंक खातों की संदिग्ध गतिविधियाँ

यह संकेत देते हैं कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी आतंकी मॉड्यूल का केंद्र बिंदु हो सकती है।

एजेंसियों को आशंका है कि यह सिर्फ एक विस्फोट नहीं, बल्कि एक बड़े और संगठित “सफेदपोश आतंकी नेटवर्क” का हिस्सा है।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Comment

Leave a Comment