नई दिल्ली। लाल किले के पास कार में हुए धमाके और उसके बाद उजागर हुए ‘सफेदपोश आतंक मॉड्यूल’ ने सुरक्षा एजेंसियों को पूरी तरह सतर्क कर दिया है। इस मामले में कई डॉक्टरों की गिरफ्तारी, अल फलाह यूनिवर्सिटी की भूमिका और राजनीतिक बयानबाज़ी ने देशभर में नई बहस छेड़ दी है।
कांग्रेस नेता राशिद अल्वी का सवाल—“MBBS-MD करने वाला आतंकी क्यों बने?”
इस मामले पर राजनीति उस समय तेज हो गई जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने गिरफ्तार डॉक्टरों का बचाव करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
अल्वी ने कहा:
“जो नौजवान MBBS और MD कर चुका है, अपने परिवार के साथ आराम से रह सकता था, वो आतंकवाद का रास्ता क्यों चुने? मोदी साहब, यह आपकी जिम्मेदारी है कि सोचें—ऐसा क्यों हो रहा है?”
अल्वी के इस बयान ने राजनीतिक हलकों और सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया पैदा कर दी है। बीजेपी नेताओं ने इसे आतंकियों का बचाव बताते हुए अल्वी पर निशाना साधा।
अल फलाह यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द, SIT गठित
जांच में सामने आया कि धमाके के तार फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हुए हैं। इस खुलासे के बाद राज्य सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय की मान्यता रद्द कर दी है।
फरीदाबाद पुलिस ने पूरे मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाई है, जिसमें—
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2 सहायक पुलिस आयुक्त
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1 निरीक्षक
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2 उप निरीक्षक
शामिल हैं। SIT विश्वविद्यालय की गतिविधियों, प्रशासनिक ढांचे, छात्रों के नेटवर्क और संदिग्ध संपर्कों की गहन जांच कर रही है। इससे पहले हरियाणा के DGP ओ.पी. सिंह ने खुद विश्वविद्यालय का निरीक्षण किया था।
कैब ड्राइवर, धर्मगुरु और उर्दू शिक्षक से पूछताछ
एजेंसियों ने आतंकी मॉड्यूल का नेटवर्क समझने के लिए पूछताछ तेज कर दी है। इस सिलसिले में—
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एक कैब चालक
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एक धर्मगुरु
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एक उर्दू शिक्षक
को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
जांच में पता लगाने की कोशिश हो रही है कि इन लोगों का गिरफ्तार डॉक्टरों से क्या संबंध था और आतंकी नेटवर्क किस तरह संचालित हो रहा था।
इंडियन मुजाहिदीन के भगोड़े आतंकी से कनेक्शन का शक
दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच को इस मामले में एक अहम सुराग मिला है। यह सुराग इंडियन मुजाहिदीन के भगोड़े आतंकी मिर्जा शादाब बेग से जुड़ता हुआ दिखाई दे रहा है।
सूत्रों के अनुसार—
बेग वर्ष 2007 में अल फलाह यूनिवर्सिटी (तब इंजीनियरिंग कॉलेज) का छात्र था। अब एजेंसियां इस बात की जांच कर रही हैं कि क्या उसका पुराना नेटवर्क इस नए सफेदपोश मॉड्यूल से जुड़ा हुआ था।
बड़ा खुलासा: सिर्फ धमाका नहीं, ‘सफेदपोश नेटवर्क’ का संकेत
लाल किले के पास हुआ विस्फोट अब सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं माना जा रहा है, बल्कि इसे एक बड़े संगठित नेटवर्क का हिस्सा बताया जा रहा है।
इसमें उच्च शिक्षित, पेशेवर और तकनीकी पृष्ठभूमि वाले युवा शामिल पाए जा रहे हैं, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए नई चुनौती है।
अंतिम रिपोर्ट का इंतज़ार
जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, मामले में नए खुलासे सामने आ रहे हैं।
अब देशभर की निगाहें SIT और केंद्रीय एजेंसियों की अंतिम रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो बताएगी कि इस पूरे मॉड्यूल के पीछे आखिर कौन-सा बड़ा नेटवर्क सक्रिय था।
Author: Deepak Mittal









