शादी का झांसा नहीं, आपसी सहमति का संबंध: CAF जवान रूपेश पुरी को हाईकोर्ट से मिली बरी

Picture of Deepak Mittal

Deepak Mittal

शादी का झांसा नहीं, आपसी सहमति का संबंध: CAF जवान रूपेश पुरी को हाईकोर्ट से मिली बरी
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का अहम फैसला — कहा, बालिग युवती और लंबे प्रेम संबंध की स्थिति में दुष्कर्म का आरोप नहीं बनता

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बस्तर जिले के CAF जवान रूपेश कुमार पुरी से जुड़े यौन उत्पीड़न मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट के 10 साल की सजा और जुर्माने के आदेश को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी की एकलपीठ ने कहा कि यदि युवती बालिग है और दोनों के बीच लंबे समय से प्रेम संबंध रहे हैं, तो शादी का झांसा देकर बनाए गए यौन संबंध को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता

यह मामला वर्ष 2022 का है, जब जगदलपुर फास्ट ट्रैक कोर्ट ने आरोपी रूपेश कुमार पुरी को 10 साल के कठोर कारावास और ₹10,000 जुर्माने की सजा सुनाई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने विस्तृत सुनवाई के बाद पाया कि यह मामला जबरन यौन शोषण नहीं, बल्कि आपसी सहमति पर आधारित संबंध था।

अदालत ने पाया कि पीड़िता बालिग थी और वर्ष 2013 से आरोपी के साथ प्रेम संबंध में थी। दोनों की दोस्ती फेसबुक के माध्यम से शुरू होकर गहरे रिश्ते में बदल गई थी। पीड़िता स्वयं आरोपी के घर जाकर उसके साथ रही और बार-बार संबंध बनाने के लिए तैयार हुई। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह साबित नहीं हुआ कि आरोपी ने धोखे से या झूठे वादे के तहत संबंध बनाए।

हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि केवल शादी का वादा करके बनाए गए संबंध को दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता, जब तक यह साबित न हो कि आरोपी के पास शुरू से ही शादी का इरादा नहीं था। इसके अलावा, मेडिकल और एफएसएल रिपोर्टों में भी दुष्कर्म के कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले।

इन तथ्यों के आधार पर अदालत ने आरोपी रूपेश कुमार पुरी को सभी आरोपों से पूर्णतः बरी कर दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह के मामलों में, जहां दोनों पक्ष बालिग हों और संबंध आपसी सहमति से बने हों, केवल आरोपों के आधार पर कठोर सजा देना न्याय के सिद्धांतों के विपरीत है।

यह फैसला न केवल रूपेश पुरी के लिए न्याय की पुनर्स्थापना है, बल्कि यह प्रदेश में ऐसे मामलों में न्यायिक दृष्टिकोण की नई दिशा भी तय करता है। हाईकोर्ट का यह निर्णय स्पष्ट करता है कि प्रेम संबंधों में सहमति और स्वतंत्र इच्छा के महत्व को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

Deepak Mittal
Author: Deepak Mittal

Leave a Comment

Leave a Comment