सरकारी कर्मचारियों के लिए वित्तीय सुरक्षा का एक मजबूत स्तंभ मानी जाने वाली सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ) योजना के ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2025-26 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर से दिसंबर 2025) के लिए जीपीएफ पर ब्याज दर को 7.1 प्रतिशत पर यथावत रखने का औपचारिक निर्णय लिया है।
यह घोषणा कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आई है, क्योंकि ब्याज दर स्थिर रहने से उनकी बचत पर मिलने वाला रिटर्न सुरक्षित रहेगा।
GPF Scheme क्या है और क्यों है महत्वपूर्ण? जीपीएफ भारत में केंद्र और राज्य सरकार के स्थायी कर्मचारियों के लिए एक अनिवार्य बचत योजना है, जो रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा मुहैया कराती है। इस योजना में कर्मचारी अपनी मासिक तनख्वाह का एक हिस्सा, सामान्यतः कम से कम 6 प्रतिशत, अपने खाते में जमा करते हैं। इसके ऊपर सरकार द्वारा निश्चित ब्याज दर पर अतिरिक्त लाभ दिया जाता है, जो तिमाही आधार पर तय होता है। यह योजना सुरक्षित होने के साथ-साथ टैक्स फ्री ब्याज प्रदान करती है, जिससे कर्मचारियों को एक भरोसेमंद और गारंटीड रिटर्न मिलता है। रिटायरमेंट के समय कर्मचारी को इस खाते में जमा पूंजी समेत ब्याज की पूरी राशि मिलती है, जो आर्थिक तौर पर उन्हें आत्मनिर्भर बनाती है।
कौन-कौन से फंड्स पर लागू होती है यह ब्याज दर? 7.1% ब्याज दर सिर्फ सामान्य भविष्य निधि तक सीमित नहीं है। यह कई अन्य सरकारी फंड्स जैसे: -अंशदायी भविष्य निधि (भारत) -अखिल भारतीय सेवा भविष्य निधि -राज्य रेलवे भविष्य निधि -रक्षा सेवा अधिकारी भविष्य निधि -सामान्य भविष्य निधि (डिफेंस सर्विस)
पर भी लागू होती है। साथ ही, सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) पर भी इस दर से ब्याज मिलता है, जो आम नागरिकों के लिए खुली दीर्घकालिक बचत योजना है।
अन्य बचत योजनाओं की वर्तमान ब्याज दरें वहीं, प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए डिज़ाइन की गई कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) की ब्याज दर वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 8.25 प्रतिशत है, जो जीपीएफ की तुलना में थोड़ी अधिक है। नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस), जो बाजार आधारित निवेश योजना है, में रिटर्न निश्चित नहीं होते लेकिन लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना होती है। सरकार ने हाल ही में अन्य छोटी बचत योजनाओं की भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है, जिनमें सुकन्या समृद्धि योजना, वरिष्ठ नागरिक बचत योजना, और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र शामिल हैं।

Author: Deepak Mittal
