रायपुर। छत्तीसगढ़ का नवगठित आकांक्षी जिला मोहला–मानपुर–अंबागढ़ चौकी अब राष्ट्रीय पहचान बना चुका है। कुपोषण प्रबंधन में अपने नवाचारी प्रयासों के लिए जिले को नीति आयोग, भारत सरकार द्वारा आयोजित “नीति फॉर स्टेट्स – यूज़ केस चैलेंज” में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है।
यह सम्मान जिले की अभिनव पहल “सैम/मैम इन चिल्ड्रन” को दिया गया, जो गंभीर और मध्यम कुपोषित बच्चों की पहचान, उपचार और निगरानी के लिए विकसित किया गया एक सशक्त सामुदायिक मॉडल है।
सितंबर 2024 में शुरू हुए “हमर स्वस्थ लइका” अभियान के तहत संवर्धित टेक होम राशन (THR) का उपयोग कर बच्चों की पोषण स्थिति में बड़ा सुधार देखा गया — रिकवरी दर 56% से बढ़कर 78% तक पहुंच गई है।
सिर्फ उपचार ही नहीं, जिले में साप्ताहिक माता-पिता बैठकों के माध्यम से पोषण संबंधी व्यवहार परिवर्तन पर भी ध्यान दिया गया। वहीं, बच्चों की डिजिटल प्रगति निगरानी के लिए “समर्थ्य ऐप” का प्रयोग किया जा रहा है।
इसके साथ ही डाइट कैलेंडर और पालक कार्ड जैसे साधनों से घरों में खाद्य विविधता और भोजन की नियमितता पर निगरानी रखी जा रही है।
इस सफलता में जिला प्रशासन, महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य विभाग, यूनिसेफ, एम्स रायपुर (राज्य उत्कृष्टता केंद्र) और एबीस ग्रुप राजनांदगांव की संयुक्त भूमिका रही।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा —
“यह सफलता छत्तीसगढ़ की पोषण सुधार नीतियों की प्रभावशीलता और जमीनी नवाचारों का प्रमाण है। राज्य सरकार ऐसी पहलों को और आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने भी कहा —
“मोहला–मानपुर–अंबागढ़ चौकी का यह प्रयास अनुकरणीय है। हम इसे अन्य जिलों में भी लागू करेंगे ताकि हर बच्चा स्वस्थ और पोषित जीवन जी सके।”
👉 छत्तीसगढ़ का यह छोटा जिला अब पूरे देश के लिए ‘कुपोषण मुक्ति’ का बड़ा मॉडल बनकर उभरा है — जहां नवाचार ने पोषण को नई दिशा दे दी है! 🌾💪

Author: Deepak Mittal
