परंपरागत चिकित्सा को नई पहचान – राज्य स्तरीय वैद्य सम्मेलन में सीएम विष्णुदेव साय का बड़ा ऐलान
रायपुर। राजधानी के पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में बुधवार को आयोजित राज्य स्तरीय परंपरागत वैद्य सम्मेलन में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने परंपरागत चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि अब सभी पंजीकृत वैद्यों को प्रशिक्षण देकर प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे, ताकि वे अपने ज्ञान का सुरक्षित और वैधानिक रूप से उपयोग कर सकें।
सीएम साय ने कहा — “छत्तीसगढ़ औषधीय पौधों की धरती है। यहां की मिट्टी में इलाज की ताकत है। हमारी कोशिश है कि हर वैद्य को उसका सम्मान मिले।”
कार्यक्रम में प्रदेशभर से आए वैद्यों ने मुख्यमंत्री का पारंपरिक जड़ी-बूटी की माला पहनाकर स्वागत किया। उन्होंने औषधीय पौधों की प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया और प्रसिद्ध पद्मश्री हेमचंद मांझी की सराहना की, जिनके पास अमेरिका तक से लोग इलाज कराने आते हैं।
सीएम ने कहा कि छत्तीसगढ़ में करीब 1,500 से अधिक वैद्य सक्रिय हैं, जबकि देशभर में इनकी संख्या 70 हजार तक पहुंच चुकी है। राज्य में 1,500 से अधिक औषधीय पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं और पाटन के जामगांव में इनसे अर्क निकालने का कारखाना भी स्थापित किया गया है।
कार्यक्रम में कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि वैद्य समाज के “जीवित देवता” हैं — जैसे सुषेन वैद्य ने रामायण काल में लक्ष्मण जी को जीवनदान दिया, वैसे ही आज छत्तीसगढ़ के वैद्य दुर्लभ रोगों का उपचार कर रहे हैं।
सम्मेलन में 1300 से अधिक वैद्यों का पंजीयन हुआ और मुख्यमंत्री ने 25 वैद्यों को औषधीय पिसाई मशीनें प्रदान कीं। साथ ही ‘दुर्ग वन वृत्त के पारंपरिक उपचारों’ पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
पद्मश्री मांझी ने कहा — “प्रकृति की जड़ी-बूटी में हर रोग की जड़ है। सही संयोजन से कैंसर जैसे रोग भी खत्म किए जा सकते हैं।”
राज्य सरकार अब क्लस्टर मॉडल के तहत औषधीय पौधों की खेती और वैद्यों को रोजगार से जोड़ने की दिशा में काम करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल छत्तीसगढ़ को “हर्बल स्टेट ऑफ इंडिया” बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम साबित होगी।

Author: Deepak Mittal
