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प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पदमपुर में विश्व रेबीज दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम: टीकाकरण से बचाएं जान

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रेबीज के लक्षण समझें, काटने पर तुरंत उपचार लें – डॉ. मनीष बंजारा

निर्मल अग्रवाल ब्यूरो प्रमुख मुंगेली 8959931111

मुंगेली: विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पदमपुर में एक जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चिकित्सा अधिकारी डॉ. मनीष बंजारा ने बताया कि रेबीज एक घातक वायरल रोग है, जो मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, बंदर, लोमड़ी या भेड़िये के काटने या खरोंच से फैलता है। वायरस जानवर की लार से शरीर में प्रवेश कर तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान और काटे स्थान पर दर्द या झुनझुनी शामिल हैं, जबकि बाद में पानी या हवा से डर, बेचैनी, दौरे और लकवा जैसे गंभीर लक्षण उभर सकते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकते हैं। हालांकि, तत्काल टीकाकरण से इसकी रोकथाम संभव है। किसी जानवर के काटने या खरोंचने पर निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में तुरंत टीका लगवाना आवश्यक है।

डॉ. बंजारा ने कहा कि पालतू पशुओं का नियमित टीकाकरण, आवारा जानवरों से दूरी और जागरूकता ही रेबीज से बचाव के सबसे मजबूत उपाय हैं। काटने की स्थिति में सिर को बचाना प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि सिर पर संक्रमण तेजी से मस्तिष्क तक पहुंचता है और अधिक क्षति पहुंचाता है। यदि सिर, गले या चेहरे पर काटा जाए, तो एंटी-रेबीज वैक्सीन के साथ इम्यूनोग्लोबुलिन इंजेक्शन भी लगवाना जरूरी है। यह इम्यूनोग्लोबुलिन तुरंत एंटीबॉडी प्रदान कर वायरस को शुरुआत में ही निष्क्रिय करता है, और इसे गहरे घावों, रक्तस्राव, सिर/चेहरे/गले पर काटने या म्यूकस मेम्ब्रेन एक्सपोजर में इस्तेमाल किया जाता है। इंजेक्शन घाव के आसपास और अंदर लगाया जाता है, शेष खुराक मांसपेशी में दी जाती है।

काटने की श्रेणियां और उपचार

🔹प्रथम श्रेणी: सिर्फ छूना या चाटना (बिना खरोंच या घाव के) – बहते पानी से धोएं।

🔹द्वितीय श्रेणी: हल्की खरोंच या सतही काटना (बिना रक्तस्राव के) – घाव को साबुन से धोकर टीका लगवाएं।

🔹तृतीय श्रेणी: गहरा काटना, रक्तस्राव, सिर/चेहरे/गर्दन/हाथ-पैर पर घाव – घाव को 15 मिनट तक साबुन से धोएं, एंटीसेप्टिक लगाएं, एंटी-रेबीज वैक्सीन और इम्यूनोग्लोबुलिन लें।

कार्यक्रम में स्वास्थ्य केंद्र द्वारा निःशुल्क परामर्श और टीकाकरण सेवाएं उपलब्ध कराई गईं। डॉ. बंजारा ने सलाह दी कि घरेलू नुस्खों या झाड़-फूंक के बजाय तुरंत चिकित्सकीय उपचार अपनाएं। कार्यक्रम का उद्देश्य रेबीज के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समय पर उपचार सुनिश्चित करना था। यह मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शीला शाहा और डीपीएम गिरीश कुर्रे के निर्देश पर आयोजित किया गया। इस अवसर पर सीमा पहारी, मिथलेश राठौर, सुनीता मिरि, जलेश्वरी मिरि, मोनिका जांगड़े, सुधा, त्रिवेणी, किशोर सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन और आशा सहयोगिनियां उपस्थित रहीं।

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Author: Deepak Mittal

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