सुपारी किलर से हुई ‘घातक गलती’… गलत शख्स का कत्ल, 10 दिन में सुलझी खौफनाक मर्डर मिस्ट्री!

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Deepak Mittal

मुंगेली। ज़िले में घटित एक ऐसी सनसनीखेज वारदात का पर्दाफाश हुआ है, जिसने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। यह मामला किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं—एक पूर्व सोसायटी प्रबंधक ने व्हाट्सएप पर फोटो भेजकर 50 हजार रुपये की सुपारी दी, पर शराब के नशे में धुत्त सुपारी किलर ने गलत शख्स का कत्ल कर डाला। पुलिस की सूझबूझ और तगड़ी कार्रवाई से सिर्फ 10 दिन में इस मर्डर मिस्ट्री का खुलासा कर सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

खौफनाक रात और कत्ल का सीन

घटना 10 सितंबर की रात ग्राम दाबों, थाना फास्टरपुर-सेतगंगा क्षेत्र की है। नवोदय विद्यालय के सामने सड़क किनारे हेमचंद और हेमप्रसाद बैठे थे। तभी अचानक मोटरसाइकिल से पहुंचे चार नकाबपोश युवकों ने उन पर लोहे की रॉड और पाइप से हमला कर दिया। हमले में हेमप्रसाद की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि हेमचंद किसी तरह जान बचाकर भाग निकला। उस समय किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह कत्ल सुपारी किलिंग की खौफनाक गलती का नतीजा है।

दुश्मनी ने बनवाई खून की साजिश

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि हत्या का मास्टरमाइंड कोई और नहीं बल्कि तरवरपुर धान खरीदी सोसायटी का पूर्व प्रबंधक नेतराम साहू था। दरअसल, नेतराम की नौकरी धान खरीदी घोटाले के आरोपों में चली गई थी। कोर्ट से बहाली के बाद भी तुलसी साहू और उसका बेटा नरेंद्र उर्फ पप्पू उसे ड्यूटी जॉइन नहीं करने दे रहे थे। इसी खुन्नस में नेतराम ने पप्पू को रास्ते से हटाने की योजना बनाई और अपने साले सुनील साहू को हत्या की सुपारी दे डाली। उसने व्हाट्सएप पर पप्पू की फोटो भेजते हुए कहा – “ये आदमी मुझे बहुत परेशान कर रहा है, इसे खत्म कर दो। 50 हजार रुपये दूंगा।”

किलर की टोली और खतरनाक प्लान

सुनील साहू ने अपने तीन साथियों—शुभम पाल, गौकरण साहू और एक नाबालिग—को शामिल कर लिया। सभी आरोपी नेतराम के घर में तीन दिन तक छिपकर रहे। उन्होंने छत से लोहे के पाइप निकाले और अपनी मोटरसाइकिलों के नंबर प्लेट हटा दिए ताकि पहचान न हो। 10 सितंबर की रात, जब नेतराम ने फोन पर जानकारी दी कि “टारगेट शराब पी रहा है, बाइक रोड किनारे खड़ी है, वहीं मार देना”, तो चारों वहां पहुंच गए।

नशे में हुई घातक गलती

जब आरोपियों ने दो युवकों को बैठे देखा, तो उन्होंने पूछा – “तुममें से पप्पू कौन है?” दोनों ने साफ कहा – “हम पप्पू नहीं हैं।” लेकिन शराब के नशे में धुत्त सुनील और शुभम ने गलतफहमी में ही हमला बोल दिया। सुनील ने पीछे से हेमप्रसाद के सिर पर पाइप से वार किया, फिर शुभम ने उसके सीने और चेहरे पर हमला कर उसे मौत के घाट उतार दिया। जबकि असली टारगेट—पप्पू—वहां मौजूद ही नहीं था। इस गलती ने पूरे मामले को खौफनाक मोड़ दे दिया।

फरारी और गिरफ्तारी

कत्ल के बाद आरोपियों ने नेतराम को फोन कर कहा – “जिसे मारना था, उसे मार दिए हैं।” फिर वे मृतक का मोबाइल, एक मोटरसाइकिल और अपनी बाइक लेकर मुंगेली से होते हुए बिलासपुर की ओर फरार हो गए। लेकिन पुलिस की पैनी निगरानी और लगातार की गई जांच ने आखिरकार आरोपियों को पकड़ ही लिया। मुंगेली एसपी भोजराम पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया कि सिर्फ 10 दिन में हत्या की गुत्थी सुलझा ली गई और पूरा गिरोह गिरफ्तार कर लिया गया।

नतीजा: पांच ज़िंदगियाँ बर्बाद

यह पूरा मामला एक परिवार की तबाही और पांच युवाओं की जिंदगी की बर्बादी पर खत्म हुआ। महज नौकरी और बदले की आग में भड़ककर रची गई साजिश ने न केवल एक निर्दोष युवक की जान ले ली, बल्कि चार युवकों और एक नाबालिग को भी जेल की सलाखों के पीछे पहुँचा दिया।

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Author: Deepak Mittal

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