नक्सली संगठन की केंद्रीय समिति ने स्पष्ट किया है कि वरिष्ठ माओवादी नेता सोनू का युद्धविराम बयान उनकी व्यक्तिगत राय है, न कि पार्टी का आधिकारिक निर्णय।
पार्टी द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि भाजपा सरकार “कगार युद्ध” चला रही है और मार्च 2026 तक नक्सल आंदोलन के सफाये की घोषणा कर चुकी है। समिति ने आरोप लगाया कि सरकार बुद्धिजीवियों और संगठनों की शांति वार्ता की अपीलों को दरकिनार कर लगातार दमन अभियान चला रही है।
नक्सली संगठन ने स्वीकार किया कि हाल के महीनों में उसे भारी नुकसान झेलना पड़ा है। 21 मई की मुठभेड़ में पार्टी महासचिव समेत 28 कैडर मारे गए, वहीं बस्तर संभाग और गरियाबंद क्षेत्र की मुठभेड़ों में कई शीर्ष नेता भी ढेर हो चुके हैं। इसके अलावा कुछ राज्य व जिला कमेटी सदस्य स्वास्थ्य कारणों से आत्मसमर्पण कर चुके हैं।


समिति ने सोनू के युद्धविराम बयान को “क्रांतिकारी खेमे में भ्रम फैलाने वाला” बताया और साफ किया कि गुप्त संगठन के फैसले इंटरनेट या सार्वजनिक मंचों पर घोषित नहीं किए जाते। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बयान आधिकारिक नहीं है और कार्यकर्ताओं को इससे भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं।
अंत में केंद्रीय समिति ने जनता से आह्वान किया कि भाजपा सरकार की जनविरोधी और फ़ासीवादी नीतियों के खिलाफ संघर्ष को और तेज किया जाए।
Author: Deepak Mittal









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