गरियाबंद।
झोलाछाप डॉक्टरों की लापरवाही ने एक आदिवासी परिवार को जीवन भर का दर्द दे दिया। बवासीर से पीड़ित 40 वर्षीय पुरुषोत्तम ध्रुव की जान अवैध और अनट्रेंड डॉक्टरों के इलाज के दौरान चली गई। यह दिल दहला देने वाली घटना कोतवाली थाना क्षेत्र के ग्राम पेंड्रा की है, जहां पैसे लेकर मौत बेची गई।
इलाज के नाम पर जालसाजी, चीरा बन गया काल
-
मृतक पुरुषोत्तम ध्रुव को बवासीर (पाइल्स) की समस्या थी
-
इलाज के लिए उसने ओडिशा सीमा से आए बबलू टांडी और संजू राजपूत नामक दो झोलाछाप डॉक्टरों से संपर्क किया
-
30 हजार में इलाज का सौदा तय हुआ, इलाज तीन दिन तक चला
-
अंतिम दिन युवक को अधमरी हालत में खून से लथपथ छोड़ दोनों भाग निकले
बेटी ने खोला दर्द का दरवाज़ा
झोलाछाप डॉक्टरों ने इलाज के दौरान कमरे को बंद कर दिया और परिजनों को अंदर आने से मना कर दिया।
लेकिन जब बड़ी बेटी को शक हुआ और उसने दरवाज़ा खोला, तो पिता खून से सने और कराहते हुए मिले।
परिजन आनन-फानन में उन्हें गरियाबंद जिला अस्पताल लेकर पहुँचे, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पोस्टमार्टम में भी खुलासा
-
मलद्वार (पेरिएनल) क्षेत्र में चीरे और अत्यधिक ब्लीडिंग के निशान
-
मृत्यु का कारण झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा गलत तरीके से किया गया इलाज
पुलिस ने दर्ज किया मामला, आरोपी फरार
-
कोतवाली थाना पुलिस ने झोलाछाप डॉक्टरों पर अपराध दर्ज कर लिया है
-
आरोपी बबलू टांडी और संजू राजपूत की तलाश जारी है
-
पुलिस ने इसे गंभीर आपराधिक मामला मानते हुए छानबीन शुरू कर दी है
🧠 समाज के लिए सबक
“झोलाछाप डॉक्टर नहीं, मौत का बुलावा हैं।”
ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में सस्ती चिकित्सा के लालच में जान देना बंद कीजिए।
सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों पर ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाए और स्वास्थ्य जागरूकता अभियान तेज़ करे।

Author: Deepak Mittal
