जे.के. मिश्र
जिला ब्यूरो चीफ, नवभारत टाइम्स 24×7in बिलासपुर
बिलासपुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में छोटे मूल्य के सिक्कों का लेनदेन संकट का रूप लेता जा रहा है। एक ओर जहां भारत सरकार और आरबीआई की ओर से एक और दो रुपए के सिक्के चलन में हैं, वहीं दूसरी ओर शहर के हफ़ा, उसलापुर, मंगला, बृहस्पति बाजार, व्यापार विहार और स्टेशन क्षेत्र सहित अनेक मोहल्लों में दुकानदार, ऑटो चालक और स्थानीय व्यापारी इन सिक्कों को लेने से साफ़ मना कर रहे हैं।
क्या सरकार ने बैन किया है एक और दो रुपए का सिक्का? या फिर दुकानदार चला रहे हैं अपनी मनमानी?
यह सवाल अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बन चुका है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब वे 1 या 2 रुपये के सिक्कों से कोई छोटा सामान जैसे टॉफी, नमकीन, सेंपुल, या तेल खरीदने जाते हैं, तो दुकानदार उन्हें या तो मना कर देते हैं या 5 रुपये का सामान जबरन खरीदवाते हैं। इससे विशेषकर ग्रामीण और निम्न आय वर्ग के लोग परेशान हैं।
छोटी कीमत में बड़ी मनमानी
एक ओर दुकानदार छोटे सिक्के नहीं लेते, वहीं दूसरी ओर ये दुकानें बिना जीएसटी रजिस्ट्रेशन के खुलेआम चल रही हैं। इन दुकानों की रोज़ की बिक्री हज़ारों से लाखों में है, लेकिन कर चोरी भी उसी अनुपात में की जा रही है। बताया गया है कि इन वार्डों में सैकड़ों ऐसी दुकानें हैं जो न तो जीएसटी रजिस्ट्रेशन में पंजीकृत हैं, न ही कोई टैक्स जमा करती हैं, और न ही सही बिल देती हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि दुकानदार मनमाना रेट वसूलते हैं और शासन-प्रशासन के नियमों को ठेंगा दिखाते हैं। प्रशासनिक चुप्पी से यह सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है।
प्रशासन की चुप्पी पर उठते सवाल
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों की मांग है कि प्रशासन इस पूरे मामले को गंभीरता से लेकर आवश्यक कार्रवाई करे।
अगर एक और दो रुपये के सिक्के भारत सरकार ने बंद नहीं किए हैं, तो उन्हें लेने से मना करना मुद्रा अपमान अधिनियम का उल्लंघन है।
साथ ही, बिना जीएसटी दुकान संचालन और कर चोरी करने वालों पर भी सख्त कार्रवाई जरूरी है।

Author: Deepak Mittal
