शैलेश शर्मा 9406308437नवभारत टाइम्स 24×7.in जिला ब्यूरो रायगढ़
(रायगढ़): राजस्थान के झालावाड़ में हाल ही में एक प्राथमिक विद्यालय की छत गिरने से मासूमों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया था। लेकिन लगता है कि छत्तीसगढ़ के घरघोड़ा विकासखंड के पतरापाली गाँव तक वह चेतावनी अब तक नहीं पहुँची। यहाँ स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय की छत किसी भी क्षण गिरने को तैयार है और उसके नीचे बैठे हैं दर्जनों नन्हे बच्चे।
विद्यालय भवन की स्थिति इतनी भयावह है कि छत के प्लास्टर की परतें जगह-जगह से झड़ चुकी हैं। दीवारों में दरारें, सीलन और कमजोर छज्जे यह सब मिलकर एक दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे हैं।
ग्रामवासी वर्षों से गुहार लगा रहे हैं। सरपंच से लेकर पालक समिति तक कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन न कोई अधिकारी आया, न कोई निरीक्षण हुआ।
राजस्थान की घटना के बाद भी प्रशासन का मौन खतरनाक है। क्या छत्तीसगढ़ में भी किसी बच्चे की जान जाए तभी कोई “फाइल” खुलेगी?
यह सिर्फ एक स्कूल भवन का मामला नहीं, यह सवाल है शासन की प्राथमिकताओं का, नीतिगत संवेदनशीलता का, और बच्चों के मौलिक अधिकारों का।
यदि अब भी हम न चेते… तो कल सिर्फ समाचार में “मलबे में दबी मासूम लाशें” बचेंगी, और उनके साथ दफन हो जाएगा एक समाज का मौन अपराध।

Author: Deepak Mittal
