भ्रामरी प्राणायाम: मानसिक स्वास्थ्य के लिए वरदान, न्यूरोसाइंस भी कर रहा समर्थन

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Deepak Mittal

तेजी से भागती ज़िंदगी और मानसिक तनाव के दौर में लोग अब योग और प्राणायाम की ओर लौट रहे हैं। इन्हीं में से एक है भ्रामरी प्राणायाम, जिसे ‘भौंरे की गुंजन’ तकनीक के नाम से जाना जाता है। यह न केवल तनाव और चिंता को कम करता है, बल्कि मस्तिष्क को नई ऊर्जा और स्थिरता भी प्रदान करता है।

भ्रामरी प्राणायाम मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र के लिए अत्यंत लाभकारी है। इसका अभ्यास करने से मानसिक तनाव, क्रोध और चिंता में उल्लेखनीय कमी देखी जाती है। यह प्राणायाम नींद की गुणवत्ता सुधारने, ध्यान केंद्रित करने और स्मरण शक्ति बढ़ाने में भी मददगार है।

योग शिक्षिका

भ्रामरी की ध्वनि मस्तिष्क की गूंजती तरंगों को शांत करती है, जिससे बेहतर नींद आती है। खासकर युवाओं और विद्यार्थियों के लिए यह अभ्यास एकाग्रता में वृद्धि और मानसिक संतुलन बनाए रखने का एक प्रभावी उपाय बनकर उभरा है।

हाल ही में हुए न्यूरोसाइंस शोधों में यह बात सामने आई है कि भ्रामरी प्राणायाम मस्तिष्क की न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देता है। इससे व्यक्ति की सीखने और सोचने की क्षमता बेहतर होती है। शोधकर्ता मानते हैं कि यह तकनीक किसी भी उम्र में मस्तिष्क के विकास को नई दिशा दे सकती है।

योग विशेषज्ञों की सलाह है कि भ्रामरी प्राणायाम को रोज़ाना 5 से 10 मिनट तक करने से मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव महसूस किया जा सकता है।

कहा जा सकता है कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और योग का यह संगम मानसिक शांति और बौद्धिक विकास की दिशा में एक सशक्त कदम है।

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Author: Deepak Mittal

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